श्री शिव महापुराण कथा में शामिल हुए सीएम योगी

CM Yogi participated in Shri Shiv Mahapuran Katha

गोरखपुर। गोरखनाथ मंदिर परिसर में बने नौ नवीन मंदिरों में देव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में सप्त दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा का शुभारंभ सोमवार सायंकाल हुआ। निकाय चुनाव प्रचार की व्यस्तता के बावजूद प्रथम दिन की कथा में मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) भी सम्मिलित हुए।

मुख्यमंत्री (CM Yogi)  ने व्यासपीठ की पूजा की, माल्यार्पण किया और कथा श्रवण के बाद पहले दिन के कथा विश्राम पर आरती उतारी। इसके पूर्व गोरखनाथ मंदिर पहुंचने पर मुख्यमंत्री ने गुरु गोरखनाथ का दर्शन पूजन किया और अपने गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की समाधिस्थली पर शीश नवाया।

मंदिर के गर्भगृह से निकाली गई भव्य शोभायात्रा

श्री शिव महापुराण कथा शुभारंभ के अवसर पर गुरु गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath Temple) के गर्भगृह से भव्य शोभायात्रा निकाली गई। गर्भगृह में मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ ने विधि विधान से श्रीनाथ जी, अखंड ज्योति एवं पोथी (श्री शिव महापुराण) पूजन का अनुष्ठान संपन्न किया। तत्पश्चात शंख, घंट-घड़ियाल, तुरही, नागफनी आदि वाद्य यंत्रों की गूंज एवं बैंड बाजे के बीच शोभायात्रा कथा स्थल महंत दिग्विजयनाथ स्मृति भवन पहुंची।

CM Yogi

यहां वैदिक मंत्रोच्चार के बीच व्यासपीठ के समक्ष अखंड ज्योति व पोथी को प्रतिष्ठित किया गया। भक्ति भाव से निकाली गई शोभायात्रा में मुख्य रूप से कथा व्यास संत बालकदास, मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, देवीपाटन के महंत योगी मिथलेशनाथ, मठ पुरोहित रामानुज त्रिपाठी ‘वैदिक’, अन्य पुरोहितगण व वेदपाठी विद्यार्थी और यजमान आदि उपस्थित रहे।

शिव का अर्थ मंगल व कल्याण : संत बालकदास

श्री शिव महापुराण कथा का रसपान कराते हुए कथाव्यास संत बालकदास ने कहा कि शिव का अर्थ मंगल व कल्याण होता है। उनकी कथा अनंत आनंददायी व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाली है। श्री शिव महापुराण कल्पवृक्ष के समान है। यह कथा जिस भावना से सुनी जाती है, उसी के अनुरूप अभीष्ट की प्राप्ति होती है।

परिवारवादी लोगों को विकास से कोई मतलब नहीं: सीएम योगी

कथाव्यास ने कहा कि शिवावतार गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली पर श्री शिव महापुराण की कथा का श्रवण करने वाले अत्यंत सौभाग्यशाली हैं। कथा श्रवण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ काशी से पधारे महामंडलेश्वर सतुआ बाबा, कालीबाड़ी के महंत रविंद्रदास आदि भी शामिल रहे।