केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने CM धामी से की बात

Dharmendra Pradhan spoke to CM Dhami

देहारादून। सोशल मीडिया आजकल कई ऐसी धरोहर को हमारे सामने लाने का काम करता है, जिनके बारे में हमें अधिक पता नहीं होता। कुछ ऐसा ही उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में हुआ, जहां के साल्ड गांव में स्थित प्राचीन जग्गनाथ मंदिर का अब पुनरुद्धार होगा। इस मंदिर को लेकर चर्चा उस समय शुरू हुई जब ओडिशा की अभिनेत्री सब्यसाची ने मंदिर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया।

मंदिर के बारे में पता चलने के बाद आज यानी सोमवार को केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी (CM Dhami) से बात की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान हुई बातचीत में केंद्रीय मंत्री ने जगन्नाथ मंदिर का जिक्र किया और बताया कि उन्हें ओडिशा की अभिनेत्री सब्यसाची और अर्चिता से इस मंदिर के बारे में पता चला।

दरअसल, साल भर पहले उड़ीसा के एक व्यक्ति जनार्दन महापात्र अपने बेटी के एडमिशन के लिए देहरादून गए थे। अपनी इस यात्रा के दौरान ही उन्होंने इस ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर की तलाश की थी। मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यह 12वीं सदी का है। देहरादून से वापस लौटने के बाद उन्होंने मंदिर की जानकारी सब्यसाची और अर्चिता को दी। जिसके बाद सब्यसाची ने मंदिर का एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया।

सीएम धामी (CM Dhami) बोले- मंदिर परिसर को विकसित करेंगे

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जब उनकी नजर ट्वीट पर पड़ी तो अब उन्होंने इस संबंध में उत्तराखंड के सीएम (CM Dhami) से बात की। बातचीत के दौरान सीएम धामी ने मंदिर परिसर को विकसीत करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि यह एक भारत श्रेष्ठ भारत का बेहतर उदाहरण है। खुद पीएम मोदी अपने उत्तराखंड दौरे के दौरान यह बात कह चुके हैं कि यह दशक उत्तराखंड का होगा।

12वीं शताब्दी में हुई मंदिर की स्थापना

सब्यसाची के ट्वीट को शेटर करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रधान ने जगन्नाथ संस्कृति को बढ़ावा देने और मंदिर को एक भव्य तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित करने के हम सभी जगन्नाथ भक्तों के आग्रह को स्वीकार करने के लिए सीएम धामी (CM Dhami) को आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा, स्थानियों की मान्यता है कि आदि शंकराचार्य जी ने 12वीं शताब्दी में इस मंदिर की स्थापना की थी। उत्तरकाशी में स्थित यह भव्य जगन्नाथ धाम उत्तराखंड और ओडिशा के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करेगा और यह ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का स्वरूप होगा।