G-20 की 100वीं कृषि प्रमुख वैज्ञानिकों की बैठक का समापन

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वाराणसी। G-20 के 100वीं कृषि प्रमुख वैज्ञानिकों (एमएसीएस) की तीन दिवसीय बैठक का बुधवार को समापन हो गया। बैठक के अन्तिम दिन कृषि खाद्य प्रणाली में परिवर्तन के लिए नवाचार और तकनीकी, खाद्य सुरक्षा और पोषण प्राप्त करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में फ्रंटियर्स, पोषण मूल्य बढ़ाने के लिए खाद्य फसलों में बायोफोर्टिफिकेशन, पोषण और ब्लू क्रांति के लिए उष्णकटिबंधीय समुद्री शैवाल की खेती, श्रीअन्न के उत्पादन एवं पोषण के लिए प्राचीन अनाज अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान पहल (महर्षि), पर एकीकृत दृष्टिकोण के रूप में, समन्वित कार्रवाई के लिए साझेदारी और नीतियों के बनाने पर जोर दिया गया।

तीन दिन तक चली बैठक में विदेशी प्रतिनिधियों ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का अनूठा अनुभव प्राप्त किया। प्रदेश की योगी सरकार ने प्रतिनिधियों के लिए शहर में सुविधाजनक आवागमन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक व्यवस्था और बैठक स्थल पर सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए थे। अतिथियों को बैठक के बाद रोज भारतीय संस्कृति, कला और धरोहरों से परिचय कराया गया। इसके लिए मेहमानों को क्रूज से विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती दिखाई गई, जिसके बाद स्वागत रात्रिभोज और ताज गंगा में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रतिनिधियों को तथागत की तपोस्थली सारनाथ भ्रमण भी कराया गया और उन्हें एएसआई संग्रहालय और बुद्धा स्तूप व लाइट एंड साउंड शो भी दिखाया गया। बुद्धा थीम पार्क में अतिथियों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया था।

मेहमानों के लिए विदाई भोज में शामिल कमिश्नर और अन्य अतिथि

ताज होटल में तीन दिनों तक चली बैठक में अन्य विषयों जैसै- सीमा पार कीट और रोग, टिकाऊ कृषि खाद्य प्रणालियों के लिए अनुसंधान एवं विकास प्राथमिकताओं, टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों के लिए जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकी और नवाचार, प्राकृतिक खेती, रेजिलिएंट एग्रीफूड सिस्टम के निर्माण के लिए विज्ञान और नवाचार, जैविक नाइट्रिफिकेशन इनहिबिशन (बीएनआई), जीएचएस उत्सर्जन को कम करना और फसल की पैदावार बढ़ाने पर चर्चा की गई। प्रतिनिधियों ने डिजिटल कृषि और सतत कृषि मूल्य श्रृंखला, कृषि अनुसंधान एवं विकास में सार्वजनिक निजी भागीदारी एवं मैक्स कम्यूनिके पर विचार-विमर्श किया।

भारत और फ्रांस की द्विपक्षीय बैठक में दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन, फसल विविधीकरण, मिट्टी तथा जल संरक्षण, प्राकृतिक खेती और बायोफोर्टिफाइड फसलों से संबंधित विषयों पर सहयोग करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। G-20 मैक्स की बैठक में कृषि अनुसंधान में भावी सहयोग के लिए आज भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय बैठक आयोजित की गई। यह भविष्य में पारस्परिक रूप से सहमत क्षेत्रों पर आपसी सहयोग के लिए प्रारंभिक चर्चा थी। जिसे दोनों देश आने वाले समय में मूर्त रूप देंगे। बैठक में G-20 के सदस्य देशों के 80 प्रतिनिधियों के अलावा आमंत्रित अतिथि देशों, अंतरराष्ट्रीय संगठन और भारत द्वारा विशेष आमंत्रित सदस्यों ने भाग लिया।

मेहमानों ने देखी पूर्वांचल के हस्तशिल्पियों की कला, मोटे अनाज से स्वादिष्ट व्यंजन

तीन दिवसीय G-20 देशों की 100वीं कृषि प्रमुख वैज्ञानिक (मैक्स) की बैठक के अंतिम दिन मेहमानों ने देश के धरोहरों में शामिल पूर्वांचल के हस्तशिल्प की प्राचीन विरासत को देखा। G-20 के प्रतिनिधिमंडल ने बड़ालालपुर स्थित पंडित दीन दयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल में जीआई उत्पाद की प्रदर्शनी, बनारसी टेक्सटाइल, लकड़ी के खिलौने आदि देखे।

मेहमानों के लिए विदाई भोज में शामिल कमिश्नर और अन्य अतिथि

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और राज्य कृषि विभाग, आईआरआरआई-एसएआरसी एनडीडीबी, एपीडा संगठनों के प्रमुख संस्थानों की कृषि प्रदर्शनी भी लगाई गई थी, जिसमें मिलेटस से व्यंजन बनाने की विधि बताई गई। मिलेटस के व्यंजनों को भी बनाने की विधि भी लाइव दिखाई गई। G-20 समिट में आये समृद्धशाली देशों के मेहमान भारत की समृद्ध विरासत से रूबरू हुए। टीएफसी के म्यूज़ियम में अतिथियों ने बनारसी साड़ी के इतिहास को देखा। वहीं काशी के दूसरे हस्तकला की प्रदर्शनियों को देखा, जहां जीआई उत्पाद भी मौजूद थे।

G-20: बीज उत्पादन के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की सराहना

इसके पहले, बड़ालालपुर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल में ढेढ़िया और थारू लोक नृत्य से मेहमानों का स्वागत किया गया। रात्रि भोजन के साथ संतूर व सारंगी के मधुर वादन के साथ G-20 देशों के मेहमानों के लिए विदाई भोज का आयोजन हुआ।