कब रखा जाएगा सकट चौथ का व्रत? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

कब रखा जाएगा सकट चौथ का व्रत? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

सकट चौथ (Sakat Chauth) का व्रत बड़ा ही पवित्र और विशेष माना जाता है। ये व्रत हर वर्ष माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर रखा जाता है। ये व्रत विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित है। इसे संकष्टी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ और माघी चौथ भी कहा जाता है। सकट चौथ (Sakat Chauth) का व्रत संतान की दीर्घायु और बेहतर भविष्य के लिए रखा जाता है।
इस दिन महिलाएं भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना करती हैं और उनसे संतान की दीर्घायु और बेहतर भविष्य की कामना करती हैं। हिंदू धार्मिक मान्यता है कि सकट चौथ (Sakat Chauth) का व्रत औऱ इस दिन विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करने से संतान के जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि सकट चौथ का व्रत कब रखा जाएगा? साथ ही जानते हैं व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
सकट चौथ (Sakat Chauth) 2026 डेट और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 06 जनवरी को सुबह 08 बजकर 01 मिनट पर शुरू हो जाएगी। वहीं, इस चतुर्थी तिथि का समापन 07 जनवरी को सुबह 06 बजकर 52 मिनट पर होगा। ऐसे में 06 जनवरी को सकट चौथ का व्रत रखा जाएगा और बप्पा की पूजा की जाएगी।
सकट चौथ 2026: चंद्रोदय का समय
सकट चौथ के व्रत का पारण चंद्र दर्शन करने के बाद ही करना चाहिए। इस दिन चंद्रोदय रात 09 बजे होगा। इसके बाद चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद सकट चौथ के व्रत का पारण किया जा सकता है।
सकट चौथ (Sakat Chauth) पूजा विधि
सकट चौथ (Sakat Chauth) के दिन पूजा और व्रत करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद साफवस्त्र धारण करने चाहिए। फिर पूजा स्थल की साफ सफाई करनी चाहिए। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति या प्रतिमा रखनी चाहिए। इसके बाद भगवान को सिंदूर का तिलक लगाना और घी का दीपक जलाना चाहिए। फिर भगवान गणेश की प्रतिमा पर फूल, फल और मिठाइयां चढ़ानी चाहिए। भगवान को तिलकुट का भोग जरूर लगना चाहिए। इसके बाद गणेश चालीसा का पाठ करना चाहिए। अंत में बप्पा की आरती और शंखनाद से पूजा संपन्न करनी चाहिए।
सकट चौथ (Sakat Chauth) के व्रत का महत्व
सकट चौथ (Sakat Chauth) का पर्व भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सबसे शुभ अवसर होता है। इस दिन महिलाएं संतान सुख की कामना करते हुए व्रत रखती हैं। साथ ही भगवान गणेश की पूजा-अराधना करती हैं। मान्यता है कि इससे संतान को लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है और सेहत अच्छी रहती है।