हर माह कालाष्टमी (Kalashtami) मनाई जाती है। हर मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है। कालाष्टमी का दिन और व्रत भगवान काल भैरव को समर्पित किया गया है। काल भैरव देव भगवान शिव का एक उग्र रूप हैं। कालाष्टमी के दिन विधि-विधान से भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है।
मान्यताओं के अनुसार, कालाष्टमी (Kalashtami) के दिन भगवान काल भैरव का व्रत और पूजन करने से भय दूर होता है। जीवन में आ रहीं बाधाएं समाप्त हो जाती है। जीवन खुशहाल होता है। इस बार की कालाष्टमी बहुत ही विशेष मानी जा रही है, क्योंकि ये इस साल की अंतिम कालाष्टमी है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल की अंतिम कालाष्टमी कब मनाई जाएगी? साथ ही जानते हैं इसका शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
कब है कालाष्टमी (Kalashtami) ?
दिसंबर में पौष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 11 दिसंबर को दोपहर में 01 बजकर 57 मिनट पर होगी। इस दिन गुरुवार है। वहीं इस तिथि का समापन 12 दिसंबर, शुक्रवार के दिन सुबह 02 बजकर 56 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में इस साल की अंतिम कालाष्टमी और काल भैरव जयंती 11 दिसंबर, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी।
कालाष्टमी (Kalashtami) पूजा विधि
कालाष्टमी (Kalashtami) के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। फिर साफ कपड़े पहनने चाहिए। इसके बाद पूजा स्थल को साफ-सुथरा करके फूलों और दीपक से सजाना चाहिए। फिर भगवान काल भैरव की प्रतिमा या चित्र को रखना चाहिए। इसके बाद भगवान काल भैरव को गंगाजल से स्नान कराना चाहिए। फिर उनको फूल, चंदन, रोली, सिंदूर आदि अर्पित करना चाहिए।
इसके बाद भगवान काल भैरव के विभिन्न मंत्रों का जप और उनकी स्तुति करनी चाहिए। फिर उनको भोग लगाना चाहिए। उन्हें फल, मिठाई, या अन्य भोग लगाया जा सकता है। अंत में भगवान की आरती करनी चाहिए। इस दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाली चाहिए। सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलाना चाहिए।
कालाष्टमी (Kalashtami) का महत्व
कालाष्टमी (Kalashtami) का दिन भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्त करने का एक विशेष अवसर माना जाता है। इस दिन व्रत और पूजा से बहुत लाभ होता है। जीवन में आने वाली परेशानियां दूर हो जाती हैं। साथ ही सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है।
कब है साल की अंतिम कालाष्टमी? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
