वाराणसी। जीरो टॉलरेंस की नीति पर सख्ती से काम कर रही योगी सरकार की पुलिस अब तकनीक के क्षेत्र में एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस में पहली बार “व्हाट्सएप बॉट” (WhatsApp Bot) का प्रयोग, वाराणसी रेंज की पुलिस करने जा रही है। वाराणसी रेज पुलिस ने इसे “पुलिस सतर्क मित्र” का नाम दिया है। जो पूर्वांचल में होने वाली विभिन्न तरह की अवैध गतिविधि पर अंकुश लगा सकेगी। आम जनता नाम उजागर होने के डर से पुलिस को अपराध संबंधी जानकारी देने से बचती थी। इसी समस्या को दूर करने के लिए वाराणसी रेंज पुलिस ने इस अत्याधुनिक तकनीक को अपनाया है। पुलिस सतर्क मित्र बन कर “व्हाट्सएप बॉट” (WhatsApp Bot) द्वारा कोई भी नागरिक पुलिस को किसी भी तरह की सूचना दे सकता है। इस तकनीक से सूचना देने वाले की कोई भी व्यक्तिगत (मोबाइल नंबर ,नाम, स्थान ) जानकारी पुलिस तक नही पहुंचेगी, बल्कि “व्हाट्सएप बॉट” स्वतः, कार्यवाही की सूचना, अपराध नियंत्रण में सहयोग देने के लिए धन्यवाद भी देगा।
उत्तर प्रदेश पुलिस जनता द्वारा अवैध गतिविधयों की दी जाने वाली अब गोपनीय सूचनाओं को गुप्त रखने के लिए “व्हाट्सएप बॉट” (WhatsApp Bot) का इस्तेमाल शनिवार से शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश में इस तकनीक का पहली बार उपयोग करने वाले वाराणसी परिक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक वैभव कृष्ण ने बताया कि वाराणसी रेंज के तीन जिलों जौनपुर, गाजीपुर एवं चन्दौली के किसी भी क्षेत्र में कोई भी अवैध गतिविधि होते यदि किसी नागरिक को सूचना मिले अथवा देखा जाये तो उसकी सूचना गोपनीय रूप से “व्हाट्सएप बॉट” के माध्यम से दे सकता है। इस योजना को पुलिस सतर्क मित्र का नाम दिया गया है।
इस प्रकार से दें सूचना
पुलिस उपमहानिरीक्षक वैभव कृष्ण ने जानकारी दिया कि सूचना “व्हाट्सएप बॉट” (WhatsApp Bot) नंबर 7839860411 पर “व्हाट्सएप मैसेज भेज कर QR Code को स्कैन करके भेजी जा सकती है।
व्हाट्सएप बॉट” (WhatsApp Bot) तकनीक से सूचना देने वाली की पहचान रहेगी स्वतः गोपनीय
डीआईजी रेंज वैभव कृष्ण ने जानकारी दी कि यह व्हाट्सएप बॉट” इस प्रकार विकसित किया गया है कि सूचना देने वाले का मोबाइल नंबर अथवा अन्य कोई भी जानकारी पुलिस के पास नहीं आएगी। सूचना देने वाले कि पूर्ण गोपनीयता बनी रहेगी। साथ ही कोई भी नागरिक इस पर यदि मात्र कोई एक शब्द लिखकर भी सन्देश भेजगा अथवा क्यूआर स्कैन करेगा तो यह नम्बर अपने आप उस व्यक्ति से विभिन्न विकल्पों के माध्यम से पूर्ण सूचना प्राप्त कर लेगा। यदि इस पर Hi लिखकर भेजा जाता है तो पहले यह भाषा का विकल्प पूछेगा एवं उसके बाद जिस अवैध गतिविधि के विषय में सूचना देनी हो उसके विकल्प से सम्बन्धित समस्त सूचनाएं बारी-बारी से पूछेगा।
इन अवैध गतिविधियों की सूचना कोई भी आम नागरिक दे सकता है
1. गौ-तस्करी / गौवध (गायों के अवैध परिवहन या वध से सम्बन्धित)
2. अवैध मादक पदार्थ (ड्रग्स, शराब, हुक्का बार)
3. अवैध हथियार (उत्पादन, वितरण या बिक्री से सम्बन्धित)
4. जुआ / सट्टा
5. वेश्यावृत्ति / महिला एवं बाल तस्करी / अवैध स्पा
6. छेड़छाड़ वाले स्थान
7. अवैध खनन / ओवरलोड वाहन
8. जबरन वसूली / पुलिस भ्रष्टाचार
9. जबरन धर्म परिवर्तन
10. अन्य कोई सूचना
पुलिस का संकल्प और मकसद
इस” व्हाट्सएप बॉट” (WhatsApp Bot) पर अवैध गतिविधि की सूचना फोटो, वीडियो, आडियो मैसेज, टेक्स्ट मैसेज के माध्यम से भेजी जा सकती है। इसे जारी करने का मुख्य कारण यह है कि क्षेत्र में हो रही अवैध गतिविधियों की सूचना देने में लोगों की गोपनीयता को बनाये रखते हुए अवैध गतिविधियों की जानकारी पुलिस तक पहुंचा सकें। रेंज पुलिस “व्हाट्सएप बॉट” (WhatsApp Bot) और क्यूआर कोड को थानों समेत अन्य सार्वजानिक स्थलों पर डिस्प्ले करेगी, साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को इस तकनीक के बारे में बताएगी
कैसे काम करेगा “व्हाट्सएप बॉट”
इस “व्हाट्सएप बॉट” (WhatsApp Bot) पर पुलिस सतर्क मित्र द्वारा जो भी सूचनाएं दी जायेंगी वह सीधे सम्बन्धित जनपद के पुलिस अधीक्षक कार्यालय एवं डी.आई.जी.वाराणसी कार्यालय रेंज कार्यालय में प्राप्त होंगी। पुलिस अधीक्षक कार्यालय द्वारा इन सभी सूचनाओं पर आवश्यक कार्यवाही कराये जाने हेतु किसी सक्षम अधिकारी को “व्हाट्सएप के माध्यम से ही सम्बन्धित सूचना भेजी जायेगी। इस पर कार्यवाही के बाद सम्बन्धित अधिकारी द्वारा किये गए करवाई का विवरण फोटो ,वीडियो या मैसेज के द्वारा वापस भेजा जायेगा। प्रत्येक सूचना पर आवश्यक करवाई के बाद सूचना देने वाले पुलिस सतर्क मित्र को भी इस “व्हाट्सएप बॉट” से स्वतः सन्देश चला जायेगा।
बैकेंड डैशबोर्ड पर अंकित होती रहेंगी जानकारियां,विश्लेषण में मिलेगी मदद
वाराणसी रेंज कार्यालय के प्रयोग के लिए बैकेंड डैशबोर्ड तैयार किये गये हैं, जिनमें अवैध गतिविधियों के सम्बन्ध में विभिन्न प्रकार के विश्लेषण किये जाने का विकल्प है, जैसे अवैध गतिविधियों के हॉट स्पॉट्स, थानावार प्राप्त विभिन्न प्रकार की अवैध गतिविधियों से सम्बन्धित सूचनाओं का तुलनात्मक विवरण, प्राप्त सूचनाओं का साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक विश्लेषण, सूचनाओं में प्राप्त फोटो या वीडियो के आधार पर संवेदनशीलता का वर्गीकरण किये जाने आदि से सम्बन्धित विकल्प दिये गये हैं।
