Parliament Attack: 24 साल पहले रणभूमि बन गई थी संसद, कैसे फेल हुई थी आतंकी साज़िश?

Parliament Attack: 24 साल पहले रणभूमि बन गई थी संसद, कैसे फेल हुई थी आतंकी साज़िश?

वो दिन जो देश की संसद (Parliament) के लिए किसी काली सुबह से कम नहीं था। ये दिन 13 दिसंबर 2001 का था और संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा था। घड़ी में सुबह के 11 बजकर 28 मिनट का समय हुआ था। देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वजापेयी थे। नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में सोनिया गांधी थीं। सत्र चलने दौरान विपक्ष की ओर से हंगामा किए जाने की वजह से सदन को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया था। दोनों सदन लोक सभा और राज्य सभा की कार्यवाही को 40 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया था।
किसे पता था कि अभी कुछ ही देर में संसद (Parliament)  भवन का क्षेत्र AK47 की गोलियों की गूंज में लिपट जाएगा। दोनों सदनों के स्थगन के बाद पीएम और विपक्ष के नेता वहां से बाहर निकल चुके थे मगर उस समय के बड़े नेता लाल कृष्ण आडवाणी, कई मंत्री समेत करीब 200 सांसद सदन में अभी भी मौजूद थे।
उपराष्ट्रपति की कार में टक्कर मार दी
अब समय 11 बजकर 29 मिनट का हुआ था। तत्कालीन उपराष्ट्रपति के इंतजार में 4 गाड़ियों का काफिला गेट नंबर 11 के पास खड़ा था। तभी अचानक एक सफेड एंबेसडर कार तेज स्पीड में संसद भवन कॉम्प्लेक्स के भीतर प्रवेश करती है। ये इतनी झट से हुआ कि लोकसभा के सुरक्षाकर्मी उसे रोकने के लिए कुछ कदम उठाते उससे पहले ही आतंकियों ने कार की दिशा बदल दी और जोर से उपराष्ट्रपति की कार में टक्कर मार दी।
आतंकियों से सब इंस्पेक्टर जीतराम की हाथापाई
आतंकियों से सब इंस्पेक्टर जीतराम की हाथापाई हुई। उन्हें अंदाजा हो गया था कि कुछ बड़े प्लान के साथ आतंकी यहां आए हैं क्योंकि उनके पास AK47 भी थी। जीतराम ने आतंकियों का कॉलर छोड़कर अपने हाथ में रिवॉल्वर थामी और गोली चला दी। फिर संसद भवन कॉम्प्लेक्स गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा। वहां 8 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए। वहां मौजूद आतंकी कार से उतरकर तार बिछाने लगे थे। आतंकियों का मकसद था कि वो उस कार को बम से वहीं पर उड़ा दें और संसद भवन (Parliament) को नुकसान पहुंचाने के अपने नापाक इरादे में कामयाब हो जाएं।
गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी समेत सभी सांसदों को सुरक्षित जगह पर शिफ्ट किया गया। संसद भवन (Parliament) के सभी दरवाजों को एक-एक करके बंद कर दिया गया। ताकि, आतंकी किसी भी गेट से अंदर न घुस सकें। बाहर रणभूमि बने संसद कॉम्प्लेक्स में क्या हो रहा है इसकी इतनी ज्यादा गंभीरता का अंदाजा लोकसभा के भीतर मौजूद सांसदों को नहीं था।
9 लोगों की हुई थी मौत
वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों में अपनी दहशत को बढ़ाने के लिए एक आतंकी ने खुद को बम से उड़ा लिया और उसकी मौत हो गई। वहीं तीन और आतंकियों को सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया। जबकि एक आतंकी किसी तरह से वहां घुसने की कोशिश कर रहा था, मगर उसे भी मार गिराया गया। इस घटना में 8 सुरक्षाबलों सहित संसद के एक कर्मचारी की मौत हो गई। इसमें सीआरपीएफ की एक महिला जवान भी शामिल थीं।
मेरी दुकान से खरीदी गई थी कार
जब समाचार में हरपाल सिंह नाम के एक शख्स ने संसद पर हमले की कोशिश की खबर देखी तो वो भागता हुआ संसद भवन जा पहुंचा और उसने बताया कि संसद भवन में आतंकियों के साथ आई ये कार उसी के दुकान से खरीदी गई थी। हमले से महज दो दिन पहले अफजल गुरु और एक और शख्स ने मिलकर कार खरीदी थी। इस हमला का मास्टरमाइंड अफजल गुरु था। इसे 9 फरवरी 2013 को सजा-ए-मौत दे दी गई थी।