मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि जिसे उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) कहते हैं। मान्यतानुसार इसी दिन से एकादशी की शुरुआत हुई। इस दिन पूरे विधि-विधान से विष्णु भगवान की आराधना की जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी व्रत का फल एक हजार अश्वमेघ यज्ञ के बराबर होता है। जानें, उत्पन्ना एकादशी पूजा-विधि, मंत्र, भोग व उपाय-
उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) पूजा-विधि
- – स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें
- – भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें
- – प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
- – अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें
- – मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
- – संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें
- – उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें
- – ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें
- – पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें
- – प्रभु को तुलसी दल सहित भोग लगाएं
- – अंत में क्षमा प्रार्थना करें
भोग: फल- केला, सूखे मेवे तथा पीले मिष्ठान के साथ खीर का भोग लगा सकते हैं।
