असर दिखा रहा सीएम योगी का प्रयास, अब संस्कृत भी बन रही बोलचाल की भाषा

असर दिखा रहा सीएम योगी का प्रयास, अब संस्कृत भी बन रही बोलचाल की भाषा

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) की पहल से अब संस्कृत (Sanskrit) केवल शास्त्रों की भाषा नहीं रह गई, बल्कि आम बोलचाल की भाषा के रूप में भी तेजी से लोकप्रिय हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 7 फरवरी 2018 को उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के एक कार्यक्रम में घोषणा की थी कि राज्य के हर विद्यालय में छात्रों को सामान्य संस्कृत संभाषण करते हुए देखा जाना चाहिए। इसी घोषणा के अनुपालन में संस्कृत संभाषण को लेकर योजनाओं की नींव रखी गई, जिसका असर अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। मिस्ड कॉल योजना ने संस्कृत संभाषण को जन-जन से जोड़ने का कार्य किया है। इस योजना के तहत 1.21 लाख से अधिक लोग पंजीकरण करवा चुके हैं, जबकि 53 हजार से ज्यादा लोगों ने प्रत्यक्ष रूप से प्रशिक्षण प्राप्त किया है। विशेष बात यह है कि प्रशिक्षण लेने वालों में महिलाओं की भागीदारी भी लगभग 50 प्रतिशत रही, जो यह दर्शाता है कि यह योजना समाज के हर वर्ग में लोकप्रिय हो रही है। सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के विभिन्न राज्यों से भी लोग इस अभियान से जुड़ रहे हैं।

संवाद और भाषाभ्यास से बदल रही धारा

सरकार की मिस्ड कॉल योजना और विभिन्न नवाचारों ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि इच्छाशक्ति और नीति साथ हो, तो कोई भी भाषा पुनर्जीवित हो सकती है। मिस्ड कॉल योजना के तहत 20 दिन तक एक घंटे की पीपीटी प्रस्तुति के माध्यम से संवाद और भाषाभ्यास कराया गया। इसके साथ ही, 10वें दिन संस्कृत (Sanskrit) के महत्व पर आधारित प्रेरणादायक सत्र आयोजित किए गए, जिनमें कुल 523 सेशन कराए जा चुके हैं। प्रशिक्षण के अंतिम चरण में इंटर्नशिप कार्यक्रम भी संचालित किया गया, जिसमें प्रतिभागियों को संस्कृत पठन-पाठन और प्रचार-प्रसार से जुड़े वीडियो निर्माण में शामिल किया गया।

शिक्षकों का भी हुआ सघन प्रशिक्षण

मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप संस्कृत (Sanskrit) को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2019 में संस्कृत संभाषण को आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाया गया है। इसके तहत राज्य के प्रत्येक डायट पर 100 प्राथमिक शिक्षकों को पांच दिवसीय सघन प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद 2020-21 में ऑनलाइन माध्यम से भी प्रत्येक जिले से 50-50 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया। अब तक कुल 1400 शिक्षकों को इस योजना के लिए प्रशिक्षित किया जा चुका है।

यही नहीं, संस्कृत (Sanskrit) संस्थान द्वारा चुन्नू-मुन्नू संस्कारशाला, काशी संवादशाला में महीने में सतत पंच दिवसीय प्रशिक्षण चलाया गया। वर्तमान में गृहे-गृहे संस्कृतम् (घर-घर संस्कृत) द्वारा विद्यालयी छात्रों के साथ परिवार और समाज में निरंतर संस्कृत सिखाई और पढ़ाई जा रही है।

संस्कृत (Sanskrit) के प्रति बढ़ रही है जागरूकता

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के पूर्व अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र के अनुसार, मुख्यमंत्री जी के उद्बोधन से प्रेरणा लेकर संस्कृत संभाषण को लेकर जो प्रयास किए गए उसके उत्साहजनक परिणाम देखने को मिले हैं। संस्कृत (Sanskrit) के प्रति लोगों में जागरूकता आ रही है और बड़ी संख्या में लोग संस्कृत सीखना चाहते हैं। जो परिणाम देखने को मिले हैं, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि पूरा प्रदेश ही संस्कृत सीखने को उत्सुक है। हमें पूरी उम्मीद है कि आगामी कुछ वर्षों में लाखों लोग संस्कृत संभाषण का हिस्सा बनेंगे।