लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने किरायेदारों और मकान मालिकों को बड़ी राहत देते हुए किराया अनुबंधों (Rental Agreements) पर लगने वाली स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क में भारी कटौती करने का निर्णय लिया है। इस कदम का उद्देश्य किराये के समझौतों को कानूनी रूप से पंजीकृत कराने को बढ़ावा देना और अनौपचारिक व्यवस्थाओं से उत्पन्न विवादों को कम करना है।
सरकार इसके साथ ही एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म विकसित कर रही है, जिसके माध्यम से किरायेदार और मकान मालिक आधार सत्यापन के जरिए डिजिटल रूप से किराया अनुबंध (Rental Agreements) तैयार और हस्ताक्षर कर सकेंगे। इससे उप-पंजीयक कार्यालयों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। यह नया सिस्टम राज्य के संपत्ति पंजीकरण पोर्टल से जोड़ा जाएगा, जिससे लोग अपने घर बैठे ही किराया अनुबंध पंजीकृत करा सकेंगे।
स्टांप एवं पंजीयन विभाग की ओर से राज्य मंत्रिमंडल को भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार, विभिन्न श्रेणियों में किराया अनुबंधों (Rental Agreements) पर स्टांप ड्यूटी में भारी कमी की जाएगी। वर्तमान में एक वर्ष की अवधि और सालाना किराया दो लाख रुपये तक वाले अनुबंध पर चार प्रतिशत यानी लगभग 8,000 रुपये की स्टांप ड्यूटी लगती है। प्रस्ताव के अनुसार, अब यह घटकर सिर्फ 500 रुपये रह जाएगी।
अधिकारियों के मुताबिक, यह सुधार राज्य के किराया बाजार को औपचारिक स्वरूप देने की दिशा में बड़ा कदम है। अभी अधिकांश मकान मालिक और किरायेदार 11 माह के अनुबंध (Rental Agreements) करते हैं ताकि उन्हें रजिस्ट्री की झंझट और भारी शुल्क से बचा जा सके, मगर ऐसे अनुबंध कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होते और विवाद की स्थिति में अदालतों में टिक नहीं पाते।आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024–25 में राज्य में केवल 36,000 किराया अनुबंध पंजीकृत हुए थे, जबकि वास्तविक संख्या इससे कई गुना अधिक मानी जाती है।
अधिकारियों का मानना है कि शुल्क में कटौती के बाद पंजीकरणों में कई गुना वृद्धि होगी।अधिकारियों की मानें तो वर्तमान नियमों के तहत किराया अनुबंध (Rental Agreements) अधिकतम 30 वर्ष तक किए जा सकते हैं। 30 वर्ष तक के अनुबंधों पर स्टांप ड्यूटी किराये के मूल्य पर लगती है, जबकि इससे अधिक अवधि वाले अनुबंधों पर भूमि मूल्य के आधार पर शुल्क तय होता है जिससे ऐसे दीर्घकालिक अनुबंध अत्यंत महंगे और दुर्लभ हो जाते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल यह राहत 10 वर्ष तक की अवधि वाले अनुबंधों पर लागू होगी। आगे चलकर इसे दीर्घकालिक अनुबंधों पर भी लागू करने की संभावना है। विभाग की महानिरीक्षक (आईजी) नेहा शर्मा ने बताया कि “कई दौर की समीक्षा और आपत्तियाँ आमंत्रित करने के बाद प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है, जिसे शीघ्र ही कैबिनेट की मंजूरी मिलने की संभावना है।”
