किंगफिशर एयरलाइंस (Kingfisher Airlines) के पूर्व कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। वर्षों से अपने बकाए का इंतजार कर रहे कर्मचारियों को आखिरकार बड़ी राहत मिली है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को जानकारी दी कि किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व कर्मचारियों को उनके लंबित बकाए के तौर पर कुल 312 करोड़ रुपये वापस कर दिए गए हैं।
यह राशि चेन्नई स्थित डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT) की अनुमति के बाद जारी की गई। ट्रिब्यूनल से हरी झंडी मिलने के बाद यह रकम ऑफिशियल लिक्विडेटर को ट्रांसफर की गई, ताकि इसे किंगफिशर एयरलाइंस (Kingfisher Airlines) के पूर्व कर्मचारियों में वितरित किया जा सके। दरअसल, यह पैसा उन शेयरों की बिक्री से हासिल हुआ है, जिन्हें पहले ईडी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को वापस सौंप दिया था। डीआरटी ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि इन शेयरों की बिक्री से प्राप्त फंड कर्मचारियों के बकाए चुकाने में इस्तेमाल किया जाए।
क्या है पूरा मामला?
पूरा मामला किंगफिशर एयरलाइंस (Kingfisher Airlines) और इसके प्रमोटर विजय माल्या से जुड़ा हुआ है। सीबीआई ने विजय माल्या के खिलाफ बड़े पैमाने पर लोन फ्रॉड का मामला दर्ज किया था, जिसके बाद वह भारत छोड़कर लंदन चला गया। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने विजय माल्या और किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की। जनवरी 2019 में विजय माल्या को आधिकारिक तौर पर भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया गया था।
ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत कार्रवाई करते हुए विजय माल्या, किंगफिशर एयरलाइंस और उससे जुड़ी कंपनियों की करीब 5,042 करोड़ रुपये की संपत्तियों की पहचान कर उन्हें जब्त किया। इसके अलावा लगभग 1,695 करोड़ रुपये की अन्य संपत्तियां भी अटैच की गई थीं। इन संपत्तियों को बाद में कानूनी प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ाया गया।
बाद में एक विशेष पीएमएलए कोर्ट ने डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल के माध्यम से एसबीआई के नेतृत्व वाले बैंकिंग कंसोर्टियम को अटैच की गई संपत्तियां लौटाने की अनुमति दी। इसके बाद ईडी ने जब्त की गई संपत्तियों को कंसोर्टियम बैंकों को सौंप दिया। इन संपत्तियों की बिक्री से कुल 14,132 करोड़ रुपये की बड़ी रकम हासिल हुई, जिसका इस्तेमाल अलग-अलग दावों के निपटारे में किया गया।
इस पूरे मामले पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ईडी ने लंबे समय से लंबित कर्मचारियों के बकाए को चुकाने के लिए सभी संबंधित पक्षों के साथ लगातार समन्वय बनाए रखा। उन्होंने कहा कि एसबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया गया कि कर्मचारियों के दावों के भुगतान के लिए वापस मिली संपत्तियों का सही तरीके से इस्तेमाल हो सके।
अधिकारी ने यह भी जानकारी दी कि एसबीआई ने एक इंटरलोक्यूटरी एप्लीकेशन दाखिल कर डीआरटी का रुख किया था। इस आवेदन में कर्मचारियों के बकाए चुकाने के लिए वापस मिली संपत्तियों का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा गया था। इसके साथ ही बैंक ने यह सहमति भी दी कि सिक्योर्ड क्रेडिटर्स के दावों से पहले कर्मचारियों के बकाए को प्राथमिकता दी जाएगी।
किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व कर्मचारियों को बड़ी राहत, ED ने 312 करोड़ रुपये लौटाए
