मार्गशीर्ष (अगहन) माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु और देवी एकादशी को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु के अंश से देवी एकादशी प्रकट हुई थीं। उन्होंने ही एक भयंकर राक्षस (मुर) का वध किया था।
भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि जो भी इस दिन देवी एकादशी के साथ मेरी पूजा करेगा, उसके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी। इसलिए इस दिन को उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) के नाम से जाना जाता है।
उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) के दिन क्या न करें?
– एकादशी व्रत के दिन तुलसी का पत्ता तोड़ना वर्जित माना गया है। इसलिए विष्णुजी की पूजा के लिए एकादशी व्रत से एक दिन पहले ही तुलसी का पत्ता तोड़कर रख लेना चाहिए।
– एकादशी व्रत में बाल और नाखून कटवाना वर्जित माना गया है।
– एकादशी व्रत के बाद द्वादशी तिथि में ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन करवाना चाहिए।
– एकादशी व्रत के दौरान क्रोध से बचें और मधुर वचन बोलना चाहिए।
– इस व्रत में दशमी तिथि से ही मांस-मदिरा समेत सभी तामसिक भोजन का सेवन करना निषेध माना जाता है।
– एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इससे चींटी समेत सभी सूक्ष्म जीवों की मृत्यु रहता है।
– इस दिन व्रती को अधिक नहीं बोलना चाहिए। वाणी पर संयम बनाए रखें और अपशब्दों का इस्तेमाल न करें।
उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) के दिन क्या करें?
– उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु और देवी एकादशी की विधिवत पूजा करें।
– विष्णुजी की पूजा के दौरान भोग में तुलसी का पत्ता जरूर शामिल करें। मान्यता है कि इसके बिना विष्णुजी भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
– पूजा के दौरान विष्णुजी के ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
– व्रत में फल जैसे केला, अंगूर,आम और बादाम, पिस्ता का सेवन कर सकते हैं।
– किसी मंदिर में अन्न-धन इत्यादि का दान करें। गरीबों और जरुरतमंदों को भोजन खिलाएं।
