अब 10वीं और 12वीं कक्षा में सभी स्टूडेंट्स पास होंगे। इसको लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने प्लान तैयार किया है। ये पूरी कवायद 10वीं और 12वीं बोर्ड एग्जाम (Board Exam) में फेल हो जाने के बाद स्कूल ड्राॅपआउट को रोकने की है। इसका फायदा प्रत्येक साल लगभग 50 लाख स्टूडेंट्स को होगा। असल में सीबीएसई समेत स्टेट एजकुेशन बोर्डों से प्रत्येक साल तकरीबन 2 करोड़ स्टूडेंट्स 10वीं और 12वीं बोर्ड का एग्जाम देते हैं। इसमें से प्रत्येक साल औसतन 50 लाख स्टूडेंट्स बोर्ड एग्जाम (Board Exam) में फेल हो जाते हैं। इन 50 लाख फेल स्टूडेंट्स को पास करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने प्लान तैयार किया है। इसकी प्लान की जानकारी बीते रोज स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव ने साझा की है।
आइए जानते हैं कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का प्लान क्या है? सीबीएसई समेत स्टेट एजुकेशन बोर्डों के ड्रॉपआउट को पास करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय कैसे काम करेगा। इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
APAAR ID से ट्रैक किए जाएंगे फेल स्टूडेंट्स
सीबीएसई समेत स्टेट एजुकेशन बोर्ड प्रत्येक साल 10वीं और 12वीं बोर्ड एग्जाम (Board Exam) आयोजित करते हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि प्रत्येक साल औसतन 50 लाख स्टूडेंट 10वीं और 12वीं बोर्ड एग्जाम में फेल होते हैं। पूर्व तक इनमें से कई स्टूडेंट्स स्कूल में दोबारा एडमिशन लेते थे, तो वहीं कई स्टूडेंट्स स्कूल ड्राप कर देते थे। ऐसे स्टूडेंट्स को ट्रैक करने को कोई सिस्टम नहीं था। इस मामले में बीते साल में बड़ा अपडेट हुआ है, जिसके तहत प्रत्येक स्टूडेंट की ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (APAAR) ID बनी है। अब इसी APAAR ID से केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय प्रत्येक स्टूडेंट्स को ट्रैक करेंगे। इसमें विशेष रूप से वह स्टूडेंट शामिल हैं, जो 10वीं और 12वीं बोर्ड फेल हो जाने के बाद संभावित तौर पर स्कूल ड्राप आउट हो सकते हैं।
स्कूलों में खुलेगी NIOS की ब्रांच, गाइडेंस मिलेगी
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय देश के प्रत्येक स्कूल में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल (NIOS) की ब्रांच खोलने की योजना पर काम कर रहा है। जिसकी शुरुआत पीएम श्री स्कूल से की जाएगी। इसके पीछे का मुख्य उद्देश्य ड्रॉपआउट करने वाले स्टूडेंट को NIOS से एग्जाम पास करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसी कड़ी में स्टूडेंट्स को गाइडेंस भी दी जाएगी, जिसके तहत 10वीं और 12वीं में फेल होने वाले स्टूडेंट्स को ये समझाया जाएगा कि रेगुलर बोर्ड और NIOS बोर्ड की मार्कशीट में कोई फर्क नहीं है। दोनों की मार्कशीट से कहीं भी एडमिशन लिया जा सकता है। मसलन, NIOS की मार्कशीट से एडमिशन देने के लिए कोई मना नहीं कर सकता है। इस संबंध में AICTE इंजीनियरिंग संस्थानों को फटकार लगा चुका है।
12वीं तक 58 फीसदी स्टूडेंट्स ही पहुंच पाते हैं
असल में देश की स्कूली शिक्षा में ड्रापआउट दर अभी भी 40 फीसदी तक है। स्कूल में एडमिशन लेने के बाद मीडिल क्लास तक पहुंचने में 10 फीसदी स्कूल छोड़ देते हैं। वहीं पहली कक्षा में एडमिशन लेने वाले कुल स्टूडेंट्स में से 76 फीसदी स्टूडेंट्स ही 10वीं तक पहुंचते हैं, जबकि 12वीं तक पहुंचने वाले स्टूडेंट्स की संख्या सिर्फ 58 प्रतिशत है। इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय इस प्लान पर काम कर रहा है।
अब 10-12वीं बोर्ड एग्जाम में स्टूडेंट्स नहीं होंगे फेल! यह है शिक्षा मंत्रालय क्या प्लान
