साल की आखिरी अमावस्या पर न करें ये गलतियां, वरना नाराज हो जाएंगे पितृ!

साल की आखिरी अमावस्या पर न करें ये गलतियां, वरना नाराज हो जाएंगे पितृ!

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है, और जब बात साल की आखिरी अमावस्या (Amavasya) की हो, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। शास्त्रों में इस दिन को पितरों की शांति, तर्पण और दान-पुण्य के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। मान्यता है कि इस दिन की गई छोटी सी लापरवाही भी पितरों को नाराज कर सकती है, जिससे परिवार में अशांति और पितृ दोष का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि अमावस्या के दिन आपको किन 5 बड़ी गलतियों से बचना चाहिए।
अमावस्या (Amavasya) पर न करें गलतियां!
तामसिक भोजन का सेवन (मांस-मदिरा से दूरी)
अमावस्या की तिथि पूरी तरह से पितरों और आध्यात्मिक साधना को समर्पित होती है। इस दिन घर में भूलकर भी मांस, मछली, अंडा या शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, भोजन में लहसुन और प्याज का प्रयोग भी वर्जित माना गया है। ऐसा करने से घर की सकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और पितृ रुष्ट हो जाते हैं।
किसी का अपमान या वाद-विवाद
अमावस्या के दिन घर का वातावरण शांत और शुद्ध रहना चाहिए। इस दिन न तो किसी बुजुर्ग का अपमान करें और न ही घर में कलह या झगड़ा करें। खास तौर पर घर की महिलाओं और बुजुर्गों को अपशब्द कहने से पितृ दोष लगता है। पितरों के आशीर्वाद के लिए वाणी में मधुरता बनाए रखें।
देर तक सोना और ब्रह्मचर्य का उल्लंघन
धार्मिक दृष्टि से अमावस्या पर सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करना अनिवार्य है। कल के दिन देर तक सोने से बचना चाहिए। साथ ही, इस दिन संयम बरतते हुए ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। जो लोग इस दिन विलासिता और आलस्य में डूबे रहते हैं, उनके भाग्य में अवरोध आने लगते हैं।
दरवाजे पर आए भिक्षु या पशु को खाली हाथ न लौटाएं
पौष अमावस्या (Paush Amavasya) पर दान का फल कई गुना होकर मिलता है। यदि कल आपके द्वार पर कोई गरीब, जरूरतमंद या कोई पशु (जैसे गाय या कुत्ता) आए, तो उसे मारकर न भगाएं और न ही खाली हाथ भेजें। उन्हें अन्न या जल का दान जरूर करें। माना जाता है कि पितृ किसी भी रूप में आपके द्वार पर आ सकते हैं।
सुनसान जगहों पर जाने से बचें
अमावस्या की रात को नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय मानी जाती हैं। इसलिए शास्त्रों में सलाह दी गई है कि इस दिन देर रात किसी सुनसान रास्ते, श्मशान या पीपल के पेड़ के पास अकेले नहीं जाना चाहिए। इस दिन मन को स्थिर रखने के लिए इष्ट देव का ध्यान करना चाहिए।
शुभ फल के लिए क्या करें?
तर्पण और दान: सुबह स्नान के बाद पितरों के नाम पर तिल और जल से तर्पण करें।
पीपल की पूजा: शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना बेहद शुभ होगा।
गीता पाठ: पितरों की आत्मा की शांति के लिए भगवद गीता का पाठ करें।
पौष अमावस्या (Paush Amavasya) का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में पौष अमावस्या (Paush Amavasya) का विशेष आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व माना गया है। यह तिथि मुख्य रूप से पितृ देवताओं को समर्पित होती है। मान्यता है कि इस दिन किए गए तर्पण, दान और पुण्य कर्म सीधे पितरों तक पहुंचते हैं और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करते हैं।शास्त्रों के अनुसार अमावस्या तिथि पर पितृलोक और पृथ्वी लोक के बीच संबंध प्रबल होता है। पौष अमावस्या पर जल, तिल और कुश से पितरों का तर्पण करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है और वंश में सुख-समृद्धि बनी रहती है।