देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में लगातार डॉग बाइट (कुत्तों का हमला) (Dogs Bite) के केस बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए नगर निगम देहरादून ने पालतू और आवारा कुत्तों (Dogs) को लेकर नए सख्त बायलॉज लागू कर दिए हैं। ये नियम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में बनाए गए हैं, जिनका उद्देश्य शहर में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और कुत्तों के प्रति जिम्मेदार व्यवहार को बढ़ावा देना है।
नए नियमों के तहत अब देहरादून में कुत्ता (Dogs) पालने के लिए नगर निगम से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। तीन महीने या उससे अधिक आयु के प्रत्येक पालतू कुत्ते का पंजीकरण जरूरी किया गया है, जिसकी वैधता एक वर्ष तक होगी। बिना रजिस्ट्रेशन कुत्ता पालने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यदि लाइसेंस अवधि के दौरान एंटी-रेबीज टीकाकरण की वैधता समाप्त हो जाती है, तो लाइसेंस स्वतः निरस्त माना जाएगा।
300 वर्ग गज का घर हो तभी पाले पिटबुल-रोटवीलर
देहरादून नगर निगम ने खूंखार और आक्रामक नस्लों को लेकर विशेष सख्ती बरती है। पिटबुल, रोटवीलर, डोगो अर्जेंटीनो, अमेरिकन बुलडॉग समेत अन्य अति आक्रामक नस्लों के लिए 2000 रुपये वार्षिक लाइसेंस शुल्क तय किया गया है। ऐसे कुत्तों को पालने के लिए न्यूनतम 300 वर्ग गज क्षेत्रफल वाले घर की अनिवार्यता रखी गई है। इसके अलावा, एक वर्ष की आयु पूरी होने के बाद इन कुत्तों की नसबंदी अनिवार्य होगी और उसका प्रमाण पत्र नगर निगम में जमा करना होगा। इन नस्लों की ब्रीडिंग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। पहले से मौजूद कुत्तों के स्वामियों को तीन माह के भीतर खरीद और नसबंदी प्रमाण पत्र जमा करना होगा।
डॉगी (Dogs) अगर ज्यादा भौंका तो काटा जाएगा चालान
नए बायलॉज के अनुसार, पालतू कुत्तों (Dogs) को सार्वजनिक स्थानों पर बिना पट्टा, मुंहबंद और निगरानी के ले जाना प्रतिबंधित रहेगा। खुले में शौच कराने पर चालानी कार्रवाई की जाएगी। कुत्ते के काटने की स्थिति में घायल की गंभीरता के अनुसार जुर्माना लगाया जाएगा, जबकि गंभीर मामलों में कुत्ते के स्वामी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कुत्ते की जब्ती भी की जा सकती है। अत्यधिक भौंकने की शिकायत पर नोटिस और चालान का प्रावधान भी किया गया है।
ज्यादा डॉगी (Dogs) पालने पर पशु शेल्टर अनिवार्य
पांच या उससे अधिक कुत्ते पालने वालों के लिए निजी श्वान पशु शेल्टर अनिवार्य कर दिया गया है। इसके लिए उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड की अनुमति, नगर निगम को सूचना और 1000 रुपये वार्षिक लाइसेंस शुल्क देना होगा। यदि शेल्टर आवासीय क्षेत्र के पास है, तो पड़ोसियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जरूरी होगा।
आवारा कुत्तों के लिए नगर निगम कॉलोनियों और रेजिडेंट वेलफेयर सोसायटी में निर्धारित फीडिंग प्वाइंट बनाएगा। स्कूलों, धार्मिक स्थलों, भीड़भाड़ वाले इलाकों और कॉलोनियों के प्रवेश-निकास बिंदुओं पर कुत्तों को खाना खिलाने पर कार्रवाई की जाएगी। इन नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए नगर निगम जल्द ही जागरूकता अभियान भी चलाएगा।
300 वर्ग गज का घर होगा तभी पाल सकेंगे पिटबुल-रोटवीलर, इस शहर में लागू हुए नए बायलॉज
