पौष अमावस्या पर करें ये उपाय, पितरों का मिलेगा आशीर्वाद!

पौष अमावस्या पर करें ये उपाय, पितरों का मिलेगा आशीर्वाद!

हिंदू धर्म में पौष मास में पड़ने वाली अमावस्या (Amavasya) बहुत विशेष मानी गई है। इसे पौष अमावस्या कहा जाता है। ये दिन बहुत शुभ और पावन होता है। अमावस्या का दिन स्नान-दान और आत्मशुद्धि का माना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और फिर दान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा की जाती है। अमावस्या का दिन पितरों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
पौष अमावस्या (Paush Amavasya) के दिन स्नान-दान और पूजा पाठ के साथ-साथ पितरों के लिए कुछ विशेष उपाय किए जाते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन खास उपाय करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद घर परिवार पर बनाए रखते हैं। इससे घर में सुख-समृद्धि सदा बनी रहती है। ऐसे में आइए जानते हैं पौष अमावस्या के दिन पितरों के लिए किए जाने वाले विशेष उपायों के बारे में।
पौष अमावस्या (Paush Amavasya) 2025 कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह की अमावस्या तिथि 19 दिसंबर, शुक्रवार के दिन सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 20 दिसंबर सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर होगा। ऐसे में पंचांग को देखते हुए इस साल पौष अमावस्या 19 दिसंबर, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी।
पौष अमावस्या (Paush Amavasya) के उपाय
– पौष अमावस्या (Paush Amavasya) की सुबह पवित्र नदी या घर में पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए। पितरों का तर्पण करते समय मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। ये दिशा पितरों की मानी जाती है। जल में तिल मिलाकर तर्पण करना चाहिए। इससे पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है।
– पौष अमावस्या (Paush Amavasya) के दिन पितरों का पिंडदान करना चाहिए। इस दिन पितरों का पिंडदान करके उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। यही नहीं इस दिन पितरों का पिंडदान करके ऋण से मुक्ति की कामना की जाती है।
– पौष अमावस्या (Paush Amavasya) पर तिल का दान करना चाहिए। इस दिन तिल के दान से बहुत पुण्य प्राप्त होता है। काले तिल का उपयोग तर्पण और दान दोनों में किया जाता है। तिल के दान से पापों का नाश होता है। साथ ही सौभाग्य में वृद्धि होती है।
– इस दिन शाम के समय घर के द्वार पर और पितरों को समर्पित स्थान पर दीपक जलाना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाना शुभ रहता है। इसका प्रकाश पितरों तक पहुंचता है और वो प्रसन्न होते हैं।