पौष मास में भूलकर भी न करें ये काम! हो सकता है बड़ा नुकसान

पौष मास में भूलकर भी न करें ये काम! हो सकता है बड़ा नुकसान

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पौष मास (Paush Month) में सूर्य देव का विशेष महत्व रहता है। इस समय सूर्य दक्षिणायन की ओर रहते हैं और शीत ऋतु का प्रभाव बढ़ जाता है। कहा जाता है कि इस कालखंड में देवताओं की ऊर्जा विश्राम अवस्था में होती है, इसलिए शुभ कामों के फल में कमी आने की आशंका रहती है। इसी वजह से शादी, गृह प्रवेश या मुंडन जैसे मांगलिक कार्यों पर विराम लगाया जाता है। इस पूरे एक माह के दौरान कई शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं, इसलिए इसे ज्योतिष और धार्मिक दृष्टि से विशेष माह माना जाता है।

पौष मास (Paush Month) 2025, कब से कब तक?

पंचांग के अनुसार, पौष माह (Paush Month) की शुरुआत 5 दिसंबर 2025, शुक्रवार को हो रही है और इसका समापन 3 जनवरी 2026, शनिवार को होगा।

पौष मास (Paush Month) में क्यों वर्जित होते हैं शुभ कार्य?

पौष मास (Paush Month) में मांगलिक कार्य न करने के पीछे मुख्य धार्मिक और ज्योतिषीय कारण ‘खरमास’ है।

सूर्य का धनु राशि में प्रवेश (धनु संक्रांति): पौष मास की शुरुआत में सूर्य देव अपनी राशि बदलकर धनु राशि में प्रवेश करते हैं। सूर्य के इस गोचर (संक्रमण) को धनु संक्रांति कहा जाता है, और जब तक सूर्य धनु राशि में रहते हैं, उस पूरे समय को खरमास या मलमास के नाम से जाना जाता है।

सूर्य के प्रभाव में कमी: ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, सूर्य जब बृहस्पति (धनु राशि के स्वामी) की राशि में प्रवेश करते हैं, तो उनका प्रभाव कुछ कम हो जाता है। किसी भी शुभ कार्य की सफलता और शुभ फल के लिए सूर्य का मजबूत होना आवश्यक माना जाता है।

शुभ कार्यों का फल कम होना: माना जाता है कि खरमास की अवधि में किए गए मांगलिक कार्यों का शुभ फल नहीं मिलता है या उसमें बाधाएं आती हैं। इसलिए, विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे जरूरी कामों को इस दौरान टाल दिया जाता है।

देवताओं का विश्राम काल: कुछ मान्यताओं के अनुसार, दक्षिणायन काल (जिसमें पौष मास आता है) देवताओं के लिए विश्राम काल माना जाता है, इसलिए शुभ कामों को इस समय करना उचित नहीं समझा जाता है।

भूलकर भी न करें ये मांगलिक कार्य!

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खरमास (पौष मास) की अवधि में इन शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।

विवाह: यह सबसे प्रमुख कार्य है जो पौष मास में नहीं किया जाता है। माना जाता है कि इस दौरान किए गए विवाह में सुख-समृद्धि और दांपत्य जीवन में मधुरता का अभाव रहता है।
गृह प्रवेश: नए घर में प्रवेश करना या मकान का निर्माण शुरू करना भी इस अवधि में वर्जित होता है।
मुंडन संस्कार: बच्चों का मुंडन संस्कार भी इस समय नहीं किया जाता है।
जनेऊ संस्कार (उपवीत संस्कार): यह महत्वपूर्ण संस्कार भी खरमास में नहीं किया जाता है।
नए व्यवसाय/कार्यों की शुरुआत: कोई भी बड़ा नया काम, नया व्यवसाय शुरू करना या किसी नए बड़े प्रोजेक्ट की शुरुआत करना भी वर्जित माना जाता है।
भूमि/वाहन की खरीद: कुछ लोग नए वाहन या नई संपत्ति की खरीद को भी इस दौरान टाल देते हैं।

पौष मास (Paush Month) में क्या करें?

भले ही मांगलिक कार्य वर्जित हों, लेकिन पौष मास पूजा-पाठ और आध्यात्मिक उन्नति के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।
सूर्य देव की पूजा: यह महीना विशेष रूप से सूर्य देव को समर्पित है। प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य दें।
पितरों का तर्पण: पौष मास की अमावस्या, पूर्णिमा और संक्रांति के दिन पितरों का तर्पण करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है।
दान: इस माह में गर्म कपड़े, कंबल, तिल, गुड़ और अन्न का दान करना बहुत शुभ होता है।
तप और साधना: इस माह में जप, तप, ध्यान और उपवास करने से आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।