53वें CJI बने जस्टिस सूर्यकांत, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ

53वें CJI बने जस्टिस सूर्यकांत, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ

नयी दिल्ली:  न्यायमूर्ति सूर्यकांत (Surya Kant) ने आज उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में उन्हें मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ दिलाई। उनका कार्यकाल नौ फ़रवरी 2027 तक होगा।
उन्होंने न्यायमूर्ति बी. आर. गवई का स्थान लिया है, जो 23 नवंबर को सेवानिवृत हुए हैं।

जस्टिस सूर्यकांत को 30 अक्टूबर 2025 को CJI नियुक्त किया गया था और वो 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर रहेंगे। दरअसल CJI बी आर गवई 65 साल के पूरे हो गए हैं, जिसके चलते अब वो सेवानिवृत्त हो जाएंगे। ऐसे में CJI का पद छोड़ने से पहले उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज को अगला CJI बनाने की परंपरा जारी रखी और जस्टिस सूर्यकांत को अपना उत्तराधिकारी चुना है।

कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत (Surya Kant) ?

10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में एक मिडिल-क्लास परिवार में जन्मे जस्टिस कांत (Surya Kant) एक छोटे शहर के प्रैक्टिशनर के तौर पर बार से देश के सबसे ऊंचे ज्यूडिशियल पद तक पहुंचे। इन सालों में वे कई राष्ट्रीय स्तर पर अहम फैसलों और संवैधानिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने 2011 में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर डिग्री पूरी की, जिसमें उन्हें ‘फर्स्ट क्लास फर्स्ट’ मिला।
जस्टिस कांत (Surya Kant) इससे पहले 5 अक्टूबर, 2018 से हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर काम कर रहे थे। उससे पहले, उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में कई खास फैसले दिए।

जस्टिस कांत (Surya Kant) से जुड़े कुछ खास फैसले

सुप्रीम कोर्ट में उनके कार्यकाल में आर्टिकल 370, बोलने की आज़ादी और नागरिकता के मुद्दों पर अहम फैसले शामिल हैं, जो आज के संवैधानिक कानून को बनाने में उनकी भूमिका को दिखाते हैं। जज उस बेंच में भी थे जिसने हाल ही में प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर सुनवाई की, जिसमें राज्य विधानसभा द्वारा पास किए गए बिलों से निपटने में गवर्नर और प्रेसिडेंट की शक्तियों के दायरे की जांच की गई थी। मामले में फैसले का इंतजार है और उम्मीद है कि इसका कई राज्यों पर बड़ा असर पड़ेगा।

एक अलग सुनवाई में, जस्टिस कांत (Surya Kant) ने चुनाव आयोग से बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से छूटे 65 लाख वोटरों की जानकारी देने की अपील की। यह निर्देश तब आया जब सुप्रीम कोर्ट राज्य में चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन करने के कमीशन के फैसले को चुनौती देने वाली पिटीशन पर सुनवाई कर रहा था।