हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है, और जब बात उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) की आती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को यह व्रत रखा जाता है। पंचांग के अनुसार, साल 2025 में उत्पन्ना एकादशी का व्रत 15 नवंबर, शनिवार को रखा जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु से एकादशी माता का प्राकट्य हुआ था, जिन्होंने मुर नामक दैत्य का वध किया था। ‘
इसलिए इस एकादशी को सभी एकादशियों में श्रेष्ठ माना जाता है और इसी दिन से एकादशी व्रतों की शुरुआत करना बेहद शुभ माना जाता है। यह व्रत न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से सुख-समृद्धि और अपार धन की प्राप्ति भी होती है। उत्पन्ना एकादशी के दिन कुछ शक्तिशाली मंत्रों का जाप करके आप अपनी सोई हुई किस्मत को जगा सकते हैं। प
उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) पर करें इन मंत्रों का जाप
उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष विधान है। इस दिन श्रद्धापूर्वक इन मंत्रों का जाप करने से जीवन के सभी दुख दूर होते हैं, और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
महामंत्र: ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’
यह भगवान विष्णु का सबसे सरल और शक्तिशाली द्वादशाक्षर महामंत्र है।
महत्व: इस मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है, वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और भगवान विष्णु की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
लाभ: संतान सुख, मोक्ष और पापों से मुक्ति के लिए यह मंत्र अत्यंत प्रभावी है।
धन-संपदा के लिए बीज मंत्र
कम समय में अधिक फल प्राप्त करने के लिए बीज मंत्र का जाप करें।
ॐ वं विष्णवे नमः
महत्व: यह मंत्र सीधे भगवान विष्णु से जुड़ने का माध्यम है और दरिद्रता को दूर करने वाला माना जाता है।
लाभ: आर्थिक तंगी दूर होती है और घर में स्थायी रूप से मां लक्ष्मी का वास होता है।
विष्णु गायत्री मंत्र (सौभाग्य और ज्ञान के लिए)
ज्ञान, विवेक और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जाप करें।
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।।
महत्व: यह मंत्र भगवान विष्णु की उपासना के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।
लाभ: बुद्धि तेज होती है, निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
भगवान विष्णु के अन्य मंत्र
पूजा के दौरान इनमें से किसी भी मंत्र का 108 बार जाप करें।
ॐ विष्णवे नमः
ॐ अं वासुदेवाय नमः
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
ॐ अं अनिरुद्धाय नमः
ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) पर पूजा और मंत्र जाप की विधि
व्रत संकल्प: एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। हाथ में जल लेकर व्रत और पूजा का संकल्प लें।
विष्णु पूजा: भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें। उन्हें पीले फूल, पीले वस्त्र और पीले फल अर्पित करें।
तुलसी पूजा: इस दिन तुलसी माता की पूजा का विशेष महत्व है। शाम के समय तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाएं। ध्यान रहे, एकादशी पर तुलसी को जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
मंत्र जाप: रुद्राक्ष की माला से ऊपर दिए गए किसी भी मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
आरती और दान: पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती करें और अगले दिन द्वादशी तिथि पर शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें। पारण से पहले किसी गरीब या ब्राह्मण को अन्न, वस्त्र या धन का दान करना अत्यंत शुभकारी माना जाता है।
