भारत के \’सुपर नटवरलाल\’ का निधन, जज बन 2000 मुजरिमों को दी थी जमानत

Dhaniram Mittal

भिवानी। धनीराम मित्तल ( Dhaniram Mittal) , एक ऐसा चर्चित नाम है। जिसे आपने शायद जरूर सुना होगा। इसकी वजह ये है कि इस शख्स को भारत का सबसे शातिर चोर माना जाता है। यह चोर धोखाधड़ी से दो महीने तक जज की कुर्सी पर बैठकर फैसला सुनाता रहा। इसे ‘सुपर नटवरलाल’ और ‘इंडियन चार्ल्स शोभराज’ के नाम से भी जाना जाता है। 85 साल की उम्र में धरनीराम की हार्ट अटैक से मौत हो गई है। धनीराम मित्तल ( Dhaniram Mittal) को भारत के सबसे विद्वान और बुद्धिमान अपराधियों के रूप में जाना जाता था। कानून में स्नातक की डिग्री लेने और हैंडराइटिंग एक्सपर्ट और ग्राफोलॉजिस्ट होने के बावजूद उसने चोरी के जरिए जिंदगी गुजारने का रास्ता चुना।

बता दें कि धनीराम ( Dhaniram Mittal) का जन्म हरियाणा के भिवानी में 1939 को हुआ था। कहा जाता है कि उसने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, चंडीगढ़ और पंजाब जैसे कई राज्यों से 1000 से अधिक कारें चुराई हैं। वो इतना शातिर था कि उसने खास तौर से दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और आसपास के इलाकों में दिन के उजाले में इन चोरियों को अंजाम दिया करता था।

भारत का चार्ल्स शोभराज तो कभी \’सुपर नटरवरलाल\’ कहे जाने वाले धनीराम मित्तल का हार्ट अटैक से निधन हो गया। कहा जा रहा है कि परिवार ने निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया है। बेशक धनीराम अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके \’अहिंसक\’ कारनामों की लंबी लिस्ट है। दिल्ली, यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान समेत अनेकों राज्यों की \’पुलिस फाइलों\’ में उन्हें लंबे समय तक याद किया जाएगा।

धनीराम ( Dhaniram Mittal) के खिलाफ जालसाजी के 150 मामले

पुलिस के मुताबिक धनीराम पर जालसाजी के 150 केस दर्ज थे। वो हूबहू लिखावट का मास्टर माना जाता था। LLB पास ठग खुद ही अपने मुकदमों की पैरवी करता था। दिल्ली में मित्तल के खिलाफ सबसे अधिक एसीपी राजपाल डबास ने कार्रवाई की। वे पहले एसआई और फिर इंस्पेक्टर बने थे। राजपाल की तैनाती पीसीआर में थी। कार चोरी के काफी मामलों में उन्होंने मित्तल को अरेस्ट किया था।

जज बनकर अदालत में किया काम

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 70 के दशक में धनीराम मित्तल ने एक दिन एक अखबार में खबर पढ़ी। उसमें लिखा था कि झज्जर के एडिशनल जज के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश। खबर पढ़कर धनीराम झज्जर कोर्ट परिसर पहुंचे। वहां इससे जुड़ी पूरी जानकारी जुटाई। इसके बाद एक लेटर टाइप कर सीलबंद लिफाफे में रखा। जिस जज के खिलाफ विभागीय जांच थी। उसके नाम पर पोस्ट कर दिया। बाकायदा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की मुहर और हस्ताक्षर भी कर दिए। लेटर में विभागीय जांच पूरी होने तक जज को दो महीने की छुट्टी का देश दिया गया था। इसी असली चिट्ठी मानकर जज छुट्टी में चले गए।

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इसके अगले दिन हरियाणा हाईकोर्ट के नाम से एक चिट्ठी पहुंची। इसमें लिखा था कि एडिशनल जज के खिलाफ जांच चल रही है। ऐसे में कोर्ट का काम न रुके, इसलिए इतने दिनों तक नए जज चार्ज संभालेंगे। जिस डेट का ऑर्डर था, उसी दिन सुबह धनीराम एक अलग से हरियाणा हाईकोर्ट का लेटर लेकर जज की वेशभूषा में पहुंच गए। कोर्ट स्टाफ ने उनको चैंबर दिखाया। इसके बाद मुल्जिमों को पेश किए जाने का हर रोज सिलसिला शुरू होने लगा। 40 दिन तक वो फैसला सुनाता रहा और 2000 से ज्यादा लोगों को जमानत दे डाली।

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