लखनऊ। प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों के विकास के लिए महिलाओं की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है। वर्तमान में महिलाएं समाज के सभी क्षेत्रों में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं, चाहे वह शिक्षा, स्वास्थ्य, शासन, प्रशासन या नगरीय प्रशासन हो। केंद्र और प्रदेश सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों से महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा मिला है। साथ ही नगरीय समस्याओं के समाधान और कचरा प्रबंधन में भी मदद मिल रही है। प्रदेश के नगरीय निकायों की निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों के लिए क्षमता संवर्धन कार्यशाला की शुरुआत कृषि उत्पादन आयुक्त एवं अपर मुख्य सचिव अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और मुस्लिम वक्फ विभाग मोनिका एस. गर्ग (Monica S. Garg) ने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुई की।
उन्होंने (Monica S. Garg) कहा कि नगर विकास विभाग द्वारा करायी जा रही कार्यशालायें महिलाओं को सशक्त बनाने में सहायक हैं। महिलाओं की राजनीति में भागीदारी देश के विकास में अत्यंत सहायक होती है। जब महिलाएं निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल होती हैं, तो नीतियों में अधिक समावेशिता, सामाजिक न्याय और संवेदनशीलता आती है। महिलाओं के मुद्दों जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और लैंगिक समानता को प्राथमिकता मिलती है। जब महिलाएं सत्ता में होती हैं, तो वे न केवल अपने लिए बल्कि पूरे समाज के लिए बेहतर नीतियां बनाती हैं। महिलाओं की भागीदारी से प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ती है। महिला नेतृत्व अन्य महिलाओं को भी आगे आने और अपनी आवाज उठाने के लिए प्रेरित करता है। महिलाओं के सशक्तीकरण से श्रम शक्ति में वृद्धि होती है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। जिसका उदाहरण आज इस कार्यशाला में प्रदेश की निकायों से आयी महिला जनप्रतिनिधियों और प्रशिक्षकों को देखने को मिल रहा है। मुख्य अतिथि मोनिका एस. गर्ग ने कार्यक्रम के दौरान महिला जनप्रतिनिधियों, सफाई कर्मियों व अन्य प्रतिभागियों को उपहार व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया।
नगरीय निकाय निदेशालय के स्वाति सभागार में आयोजित क्षमता संवर्धन कार्यशाला में सचिव/निदेशक एवं राज्य मिशन निदेशक अनुज कुमार झा (Anuj Jha) ने मुख्य अथिति मोनिका एस. गर्ग (Monica S. Garg) का स्वागत करते हुए उनकी उपस्थिति के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कार्यशाला प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार ने बहुत सारी योजना और परियोजनों के संचालन में महिलायें महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। समाज में बदलाव के लिए महिलाओं को बराबर का सम्मान देना चाहिए। शिक्षा हो या रोजगार दोनों ही क्षेत्रों में उनका सशक्तिकरण प्रदेश के विकास को नया आयाम देगा। आज की इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य भी महिलाओं की प्रदेश के नगरीय सुविधाओं को उच्च कोटि का बनाने के साथ ही कचरा प्रबंधन में अहम् भूमिका को दर्शाना है। कचरा प्रबंधन में महिलाओं की भूमिका के बारे मे जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि घरों से निकलने वाले कचरे को गीला और सूखा अलग कर कूड़ा गाड़ियों को देने से ही सही प्रबंधन की शुरुआत होती है।
घरों से निकलने वाले कूड़े के सही प्रबंधन की जानकारी देने के लिए मोहल्ला समिति भी बनाई गयी हैं। जिसमें महिलाओं के समूहों द्वारा घरों से निकलने वाले गीले कचरे को होम कंपोस्टिंग के माध्यम से किचन या रूफ टॉप गार्डन में उपयोग कर उसके सही प्रबंधन के बारे में जागरूक किया जाता है। कहा गया कि सही नियम और योजनाबद्ध तरीके से कार्य करते हुए महिलायें बेहतर कचरा प्रबंधन सुनिश्चित करती हैं। कचरा प्रबंधन के नियमों का पालन करते हुए कचरा ठीक से इकट्ठा हो और निपटान किया जा सके। शहरों में घरों से निकलने वाले कचरे को प्रारंभिक रूप से गीला/सूखा अलग अलग कर घरों मे आने वाली कूड़ा गाड़ियों को देती है। एमआरएफ सेंटर पर भी महिलाओं द्वारा शहरी कचरे को अलग करने में सहयोग दिया जा रहा है। कचरा प्रबंधन का कार्य कर रही महिला श्रमिकों की सुरक्षा के साथ ही आधुनिक उपकरण भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
कचरा प्रबंधन में महिलाओं की भागीदारी शहर को स्वच्छ बनाने में बहुत महत्वपूर्ण है। कार्यशाला में प्रदेश की नगर पालिका और पंचायतों की अध्यक्ष ने कहा कि नए विचार और तकनीक कचरा प्रबंधन को बेहतर बनाते और प्रदेश को प्रदूषण मुक्त बनाने में भी सहायक है। निकायों में महिलाएं कचरा प्रसंस्करण विधियों जैसे खाद निर्माण और पुनर्चक्रण को बढ़ावा दें रहीं हैं। कचरे को कम करने और पुनः उपयोग को प्रोत्साहित कर रही हैं, ताकि शहर साफ और पर्यावरण अनुकूल बन सके। जिसमें विशेष रूप से महिलायें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए सहयोग दे रही हैं। निकायों में महिलाओं द्वारा कचरा प्रबंधन में नागरिकों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जा रही है, ताकि बदलाव स्थायी हो सके। महिलाओं द्वारा घरों में कचरा अलग-अलग कर कूड़े गाड़ियों को देने, स्थानीय समूहों को उनके क्षेत्रों को स्वच्छ बनाने, गीले-सूखे और हानिकारक कचरे के लिए अलग-अलग डिब्बे में रखने, सामुदायिक खाद केंद्र स्थापित कर गीला कचरा उपयोगी खाद में बदलने के बारे में जागरूक किया जा रहा है।
जनप्रतिनिधियों ने बताया कि महिला कचरा श्रमिकों के लिए उचित वेतन, सुरक्षा उपकरण (पीपीई) और अन्य लाभ सुनिश्चित कराये जा रहे हैं। इसके लिए पर्याप्त धनराशि की भी व्यवस्था की गयी है। कार्यशाला में शिवानी ने प्रदेश में चल रहे स्वच्छ सर्वेक्षण के बारे में बताते हुए कहा कि शहरों की स्वच्छता और सुंदरता पर हमारे निकायों को अंक भी मिल रहे हैं। महिलाओं की स्वच्छ सर्वेक्षण में भी भूमिका महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित महिला जनप्रतिनिधियों, सफाई कर्मियों व अन्य प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मनित किया गया।
कार्यशाला में अपर निदेशक ऋतु सुहास, उपनिदेशक विजेता, सहायक निदेशक गिरीश कुमार द्विवेदी, सविता शुक्ला, अपर निदेशक (प/क) डॉ असलम अंसारी, निकायों के अधिशाषी अधिकारी, पालिका/पंचायतों की 25 महिला जनप्रतिनिधि, लखनऊ नगर निगम की ब्रांड अम्बेडकर पूजा विश्वकर्मा, सफाई कर्मी साथ ही अन्य निकायों के अध्यक्षो ने वर्चुअली प्रतिभाग किया गया है।