केंद्रीय मंत्री खट्टर से मिले शहरी विकास मंत्री डॉ. प्रेमचंद, राज्यहित में रखी मांगें

Dr. Premchand Aggarwal-Manohar Lal Khattar

देहरादून। शहरी विकास मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल (Dr. Premchand Aggarwal) ने सोमवार को केंद्रीय ऊर्जा व शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की और राज्य हित में विभिन्न परियोजनाओं की स्वीकृति व अनुमोदन के लिए मांग पत्र सौंपा।

देहरादून में हुई मुलाकात के दौरान डॉ. अग्रवाल (Dr. Premchand Aggarwal) ने मांग पत्र के जरिए स्वच्छ भारत मिशन के लगभग 264 करोड़ की लागत के अंतर्गत शीशमबाडा में अवस्थित लिगेसी वेस्ट के निस्तारण के लिए 50 करोड़ की धनराशि, नगर निगम देहरादून, ऋषिकेश तथा काशीपुर में अवस्थित सी एण्ड डी वेस्ट के निस्तारण के लिए 21 करोड़ की धनराशि, जबकि नवगठित 13 नगर निकायों की प्रस्तावित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं के लिए 193 करोड़ की धनराशि स्वीकृत करने का अनुरोध किया है।

मंत्री प्रेमचंद (Dr. Premchand Aggarwal)  ने मांग पत्र के जरिए कहा कि अमृत योजना लगभग 490.42 करोड़ के अंतर्गत राज्य के सात नगर निकाय जो अन्य योजना से आच्छादित नहीं हो पा रही हैं उन्होंने जल आपूर्ति से पूर्ण आच्छादित करने के लिए 490.42 करोड़ की अतिरिक्त धनराशि निर्गत किये जाने का अनुरोध है। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि पूर्व निर्गत 46.35 करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र भारत सरकार को प्रेषित किया जा चुका है। उन्होंने द्वितीय किस्त 92.70 करोड़ की धनराशि निर्गत किये जाने का अनुरोध है।

डॉ. अग्रवाल (Dr. Premchand Aggarwal) ने कहा कि राज्य की 16 नगर निकायों में जलापूर्ति की परियोजनाओं को पूर्व में अन्य योजना से आच्छादित किया जाना प्रस्तावित था, परन्तु कतिपय कारणों से आच्छादित नहीं किया जा सका। उन्होंने वर्तमान में उक्त 16 नगर निकायों की परियोजनओं के लिए ईएपी/एडीबी के अंतर्गत 1089 करोड़ की वित्तीय सहायता प्रदान करने का अनुरोध है।

उन्होंने (Dr. Premchand Aggarwal) बताया कि लगभग 480 करोड़ की लागत से प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत स्व स्थाने मलिन बस्ती पुर्नविकास (ISSR) घटक में पीपीपी भागीदारों के लिए परियोजना को लागू करने के लिए मलिन बस्तियों की भूमि वित्तीय रूप से व्यवहार्य नहीं हो पा रही है। ऐसे में प्रति आवास निर्माण के लिए 4.00 लाख बढ़ाये जाने की आवश्यकता है।

डॉ. अग्रवाल (Dr. Premchand Aggarwal) ने बताया कि लाभार्थी आधारित निर्माण घटक में पहाड़ी क्षेत्रों में आवास निर्माण में लाभार्थी अंश (4.00-5.50 लाख रुपये) आता है, कम आय वाले लाभार्थियों (तीन लाख) के लिए आवास निर्माण कठिन हो रहा है जो परियोजना छोड़ने का कारण बन रहा है। भारत सरकार का अंश 1.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 4. 00 लाख किये जाने का अनुरोध है, जिससे लाभार्थियों का बोझ कम हो सकता है और परियोजनाओं में तेजी आ सकती है।

मंत्री डॉ. अग्रवाल ने कहा कि उत्तराखंड की तीन नगर निकायों (गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ) जो चारधाम के मुख्यधाम है, को 15वें वित्त आयोग से अनुदान से आच्छादित नहीं किया गया है जिस कारण उक्त तीन निकायों के प्रशासन एवं संचालन में कठिनाई आ रही है। उन्होंने निकायों के कार्यालय भवन, कर्मचारियों के आवास एवं मूलभूत सुविधाओं के निर्माण विकास तथा रखरखाव में लिए 50 करोड़ की धनराशि प्रति निकाय को निर्गत किये जाने का अनुरोध है।

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डॉ. अग्रवाल ने बताया कि केन्द्रीय वित्त आयोग से नगर निकायों के अनुदान की गणना वास्तविक जनसंख्या के आधार पर की जाती है। जबकि राज्य में चलायमान जनसंख्या अत्याधिक होने के कारण नगर निकायों को बुनियादी सुविधाओं को देने में कठिनाई होती है। उन्होंने आगामी केन्द्रीय वित्त आयोग से अनुदान की गणना में चलायमान जनसंख्या पर विचार करते हुए अनुदान की गणना किये जाने का अनुरोध है।

मंत्री अग्रवाल ने बताया कि राज्य की कतिपय पर्वतीय निकायों द्वारा 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुरुप सम्पति कर संग्रहण में बढ़ोतरी न होने के कारण आयोग द्वारा वर्ष 2024-25 से अनुदान धनराशि को रोक दिया गया है। उक्त निकायों की जनसंख्या एवं निवासरत परिवार की संख्या कम होने के कारण सम्पति कर के संग्रहण में बढ़ोतरी करने में निकाय सक्षम नहीं है। ऐसे में इन पर्वतीय छोटी निकायों के मूल भूत सुविधाओं के विकास के लिए अनुदान राशि निर्गत किये जाने का अनुरोध है।

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