देश के दो बड़े मसाला ब्रांड Everest और MDH की गुणवत्ता को लेकर विदेश में उठ रहे सवालों के बाद अब FSSI का बयान सामने आया है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSI) ने बताया है कि भारत के दोनों बड़े ब्रांड्स में एथिलीन ऑक्साइड (खतरनाक केमिकल) के निशान नहीं मिले हैं। ये रिपोर्ट 28 मान्यता प्राप्त लैब्स में दोनों ब्रांड्स के सैंपलों की जांच के बाद जारी की गई है।
दरअसल, हॉन्ग कॉन्ग और सिंगापुर की फूड एजेंसी ने Everest के फिश करी मसाला पर रोक लगा दी थी। सिंगापुर ने एवरेस्ट के फिश करी मसाला के ऑर्डर को रिटर्न कर दिया था। उन्होंने दावा किया था कि फिश करी मसाला में एथिलीन ऑक्साइड तय मात्रा से कहीं ज्यादा है। उन्होंने कहा था कि एथिलीन ऑक्साइड की कम मात्रा से फिलहाल तो कोई खतरा नहीं है, लेकिन लंबे समय तक इसका सेवन करने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। हॉन्ग कॉन्ग और सिंगापुर की चिंता के बाद ही FSSI ने देशभर से MDH और एवरेस्ट मसालों के सैंपल लेने शुरू किए थे।
इन मसालों को लेकर उठे थे सवाल
हॉन्ग कॉन्ग के खाद्य सुरक्षा केंद्र (सीएफएस) ने अनुमति सीमा से ज्यादा एथिलीन ऑक्साइड होने की बात कहते हुए एमडीएच के मद्रास करी पाउडर, एवरेस्ट फिश करी मसाला, एमडीएच सांभर मसाला मिश्रित मसाला पाउडर और एमडीएच करी पाउडर मिश्रित मसाला पाउडर ना खरीदने के लिए कहा था।
FSSI ने कराई जांच
दो देशों की आपत्तियों के बाद खाद्य सुरक्षा आयुक्तों और FSSI के अधिकारियों ने पूरे देश में ऑपरेशन चलाया था, जिसमें पूरे देशभर के बाजार में मौजूद दोनों मसाला ब्रांन्ड्स के नमूनों का सैंपल लेकर उसकी जांच की गई थी।
MDH और Everest मसालों पर गहराया संकट, अब नेपाल ने भी लगाया बैन
जांच अधिकारियों ने Everest मसालों के सबसे ज्यादा सैंपल दो मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से लिए थे। इसके बाद मसालों में कीटनाशक के अवशेष सहित अलग-अलग मापदंड पर उन्हें परखा गया था। मसालों में एथिलीन ऑक्साइड को लेकर भी जांच की गई थी।
जांच टीम में शामिल थे ये लोग
जांच के लिए FSSI ने वैज्ञानिकों का एक पैनल बनाया था। उन्होंने एवरेस्ट और MDH के अलावा दूसरे ब्रांड्स के भी 300 से ज्यादा सैंपल लेकर उन्हें जांच के लिए भेजा। इसमें नर्णायक तौर पर एथिलीन ऑक्साइड की मौजूदगी नहीं पाई गई। वैज्ञानिकों के पैनल में स्पाइस बोर्ड, सीएसएमसीआरआई (गुजरात), भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान (केरल), निफ्टम (हरियाणा), बीएआरसी (मुंबई), सीएमपीएपी (लखनऊ), डीआरडीओ (असम), आईसीएआर, राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक शामिल हैं। हालांकि, अभी 6 लैब्स की रिपोर्ट आना बाकी है।