लखनऊ। प्रदेश में संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत एक अप्रैल से 30 अप्रैल तथा दस्तक अभियान (Dastak Abhiyan) का संचालन किया जाएगा। इसके लिए योगी सरकार ने विभागों को उनके दायित्व सौंप दिए हैं। नगर विकास विभाग को भी उसके कार्य और दायित्व के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश निर्गत किए गए हैं। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि जनसामान्य में अधिकतम प्रभाव के लिए इस अभियान की सभी गतिविधियों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। समस्त नगर निकाय द्वारा विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान (Sanchari Rog Niyantaran Abhiyan) के लिए निकाय वार व वार्ड वार संपन्न की जाने वाली गतिविधियों का माइक्रोप्लान जनपद स्तर पर मुख्य चिकित्साधिकारी को 28 मार्च तक प्रत्येक दशा में उपलब्ध कराया जाना है।
निरंतर जागरूकता स्थापित किए जाने के निर्देश
नगर विकास विभाग को मिले दायित्वों में नगरीय निकायों में स्वच्छता को प्रमुखता से शामिल किया गया है। इसके अंतर्गत नगरीय निकायों के अधिकारियों एवं कर्मियों का दिमागी बुखार एवं अन्य वेक्टर जनित रोगों तथा जलजनित रोगों तथा उष्ण मौसम से संबंधित रोगों (हीट रिलेटेड इलनेसेज) की रोकथाम तथा साफ-सफाई के संबंध में स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से संवेदीकरण किया जाएगा। वहीं, नगरीय क्षेत्रों में मोहल्ला निगरानी समितियों के माध्यम से दिमागी बुखार एवं अन्य वेक्टर जनित रोगों तथा जल जनित रोगों तथा हीट रिलेटेड इलनेसेज के विषय में निरंतर जागरूकता स्थापित की जाएगी।
फॉगिंग के साथ ही सघन वेक्टर नियंत्रण पर फोकस
इसके साथ ही, शहरी क्षेत्रों में फॉगिंग करवाना, स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए हाई रिस्क क्षेत्रों की सूची में उल्लिखित स्थानों पर सघन वेक्टर नियंत्रण एवं संवेदीकरण गतिविधियों को संपादित कराने के साथ ही नगरीय क्षेत्रों में वातावरणीय तथा व्यक्तिगत स्वच्छता के उपायों, खुले में शौच न करने, शुद्ध पेयजल के प्रयोग तथा मच्छरों की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान संचालित करना शामिल है।
खुली नालियों को ढकने की व्यवस्था, नालियों/कचरों की सफाई करवाने के साथ ही उथले हैंडपंपों का प्रयोग रोकने के लिए उन्हें लाल रंग से चिन्हित किया जाना सुनिश्चित किया जाएगा। हैंडपंप के पाइप को चारों और से कंकरीट से बंद करना, हैंडपंप के पास अपशिष्ट जल के निकलने हेतु सोक-पिट का निर्माण करना, शुद्ध पेयजल की गुणवत्ता की मॉनीटरिंग के लिए बैक्टीरियोलॉजिकल / वायरोलॉजिकल जांच सुनिश्चित कराई जाएगी।
संवेदनशील क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर संचालित होंगी गतिविधियां
इसके अलावा, आबादी में मिनी पब्लिक वाटर सप्लाई (एमपीडब्ल्यूएस), टैंक टाइप स्टैंड पोस्ट (टीटीएसपी) की मानकों के अनुसार स्थापना एवं अनुरक्षण, सड़कों के किनारे उगी वनस्पतियों को नियमित रूप से हटाना, शहरी क्षेत्रों एवं शहरी मलिन बस्तियों के संवेदनशील आबादी समूहों में अपनी गतिविधियों को केंद्रित करना, संवेदनशील क्षेत्रों को प्राथमिकता के आधार पर खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) करना और संवेदनशील क्षेत्रों तथा शहरी मलिन बस्तियों में विभागीय गतिविधियों की प्रगति आख्या भौतिक प्रगति के अभिलेखीकरण के साथ तैयार करना भी शामिल है।