लखनऊ। गरीबी (Poverty) उन्मूलन की दिशा में उत्तर प्रदेश में उल्लेखनीय सुधार आया है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तेज कमी उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई है।
आधिकारिक सूत्रों ने नीति आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुये मंगलवार को बताया कि नीति आयोग की रिपोर्ट ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: एक प्रगति समीक्षा 2023’ के अनुसार 2015-16 और 2019-21 के बीच भारत मे रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी (Poverty) से बाहर निकले हैं तो वहीं उत्तर प्रदेश में 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से उबरने में कामयाब रहे हैं।
36 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और 707 प्रशासनिक जिलों के लिए बहुआयामी गरीबी अनुमान प्रदान करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान जैसे राज्यों का नंबर यूपी के बाद आता है।
रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में, 2015-16 और 2019-21 के बीच 3,42,72,484 लोग गरीबी (Poverty) से बाहर निकले हैं। परिणामस्वरूप, प्रदेश में गरीबी में रहने वाले लोगों का अनुपात 2015-16 में 37.68 प्रतिशत से घटकर 2019-21 में 22.93 प्रतिशत हो गया है। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का अनुपात 2015-16 में 44.29 प्रतिशत से घटकर 2019-21 में 26.35 प्रतिशत हो गया, जबकि शहरों में यह 2015-16 के 17.72 प्रतिशत से हटकर 2019-21 में 11.57 पर आ गया।
‘शिक्षा चौपाल’ से विद्यालयों को निपुण बनाने की तैयारी
गरीबी (Poverty) के साथ ही यूपी में गरीबों की हेल्थ, एजुकेशन और स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग संबंधित पैरामीटर्स में भी सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 में न्यूट्रीशन से वंचित गरीबों की संख्या 30.40 फीसदी थी जो 2019-21 में घटकर 18.45 प्रतिशत पर आ गई। इसी तरह, बच्चों और किशोरों की मृत्यु दर में भी सुधार हुआ है।
2015-16 में यह 3.81 फीसदी थी जो 2019-21 में घटकर 2.20 प्रतिशत पर आ गई। मैटरनल हेल्थ में भी काफी सुधार हुआ और 2015-16 के 25.20 से घटकर यह 2019-21 में 15.97 फीसदी पर आ गई। स्टैण्डर्ड ऑफ लिविंग के तहत 2015-16 में कुकिंग फ्यूल से वंचित गरीबों का प्रतिशत 34.24 था जो 2019-21 में 17.95 प्रतिशत रह गया। 2015-16 में 2.09 प्रतिशत पीने के पानी से वंचित थे जो आंकड़ा 2019-21 में घटकर 0.93 प्रतिशत रह गया।