लखनऊ। गर्मी के दिनों में बिजली की समस्या प्रदेश में रहती है। कोरोना के समय जब सब कुछ ठप्प था तब घर में पर्याप्त बिजली मिल जाती थी।अब माँग बढ़ने से समस्या उत्पन्न हो रही है।
दो दिन पहले देर शाम को मुख्यमंत्री ने मीडिया के माध्यम से बिजली व्यवस्था पर नाराज़गी दिखाई।
उसके पहले उसी दिन दोपहर में ऊर्जा मंत्री (AK Sharma) ने शक्ति भवन जाकर विभाग के अधिकारियों को फटकारा था। यहाँ तक पता चला कि उन्होंने दो वरिष्ठ लोगों को निकाल देने तक की बात कह डाली। अधिकारियों को उपभोक्ता की अनदेखी करने के लिए धृतराष्ट्र तक कह डाला।
ऊर्जा मंत्री (AK Sharma) ने सिर्फ़ दूसरों को डाँटा ही नहीं स्वयं अपनी कार्यशैली के मुताबिक़ अगले दिन सुबह-सुबह फील्ड में निकल पड़े। मध्यांचल विद्युत निगम की ऑफिस में मीटिंग-समीक्षा किया और बिजली के उपकेंद्र तक का मुआयना किया।
उसके कुछ दिन पहले भी ऊर्जा मंत्री ने कई उपकेंद्रों का और 1912 की हेल्पलाइन का प्रत्यक्ष निरीक्षण किया था।
लेकिन इतना हाहाकार मचने के बावजूद कोई उच्च अधिकारी पिछले सप्ताह में सक्रिय नहीं दिख रहा है। सब अपने अपने ऑफिस में एसी चलाकर मज़ा कर रहे हैं।
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ये ऐसे अधिकारी हैं जो बिजली विभाग पर कुंडली मारकर बैठे हैं। एक एक के पास आधे दर्जन से अधिक महत्वपूर्ण बिजली निगमों का चार्ज है। उन्हें किसी की सूचना या नाराज़गी की पड़ी नहीं है।
उनको मालूम है कि चार-चार साल से आठ-आठ निगमों में बने रहने के लिए काम करने और कर्तव्य निर्वाह की नहीं बल्कि सरकार में उच्च स्तर पर सेटिंग की ज़रूरत है। और इसमें वो माहिर हैं।
बाक़ी मंत्री नाराज़ हों या बिजली यूनियन दुखी हो उनका कोई कुछ उखाड़ नहीं सकता। मीडियाबाज़ी के अलावा भी सरकार का कोई इरादा हो तो इन अधिकारियों से विद्युत तंत्र को निजात दिला देनी चाहिए। इनकी क़ाबिलियत का लाभ दूसरे विभाग को देना चाहिए।
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