लखनऊ। पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया। भारत में शिक्षा के प्रचार और प्रसार के साथ देश की तरक्की को जोड़ने वाला यह स्लोगन आपको टीवी, अखबार और विज्ञापनों में खूब देखने को मिलता होगा। भले ही यह स्लोगन देखने में हर किसी के लिए शिक्षा की पहुंच पर जोर देता हो, लेकिन भारत जैसे देश में बेटियों (Daughters) की स्थिति को देखते हुए इस स्लोगन के पीछे बेटियों के लिए अनिवार्य शिक्षा का महत्वपूर्ण संदेश छुपा हुआ है। पीएम मोदी भी कई मंचों से बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ का नारा दे चुके हैं। सार ये है कि बिना बेटियों को शिक्षा प्रदान किए एक सभ्य समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। इस दिशा में उत्तर प्रदेश ने काफी काम किया है। यहां न सिर्फ शहरों, गांवों और कस्बों तक बेटियों के लिए जरूरी शिक्षा का अभियान चलाया गया है, बल्कि प्रदेश की बेटियों (Daughters) को व्यावसायिक शिक्षा से भी जोड़ने की पहल की गई है। यही नहीं, बेटियों को केंद्र में रखकर मिशन शक्ति भी चलाया जा रहा है, जबकि योगी सरकार बेटियों को सेल्फ डिफेंस के लिए भी प्रेरित कर रही है। बेटियों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्रदेश में अलग से कस्तूबरा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों का भी संचालन किया जा रहा है। कुल मिलाकर प्रदेश में आधी आबादी के उन्मूलन और उन्हें शिक्षित करने को लेकर योगी सरकार सजग भी और संकल्पित भी।
मुफ्त शिक्षा से लेकर शारीरिक दक्षता तक का रखा जा रहा ध्यान
हाल ही में गोरखपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम योगी (CM Yogi) ने कहा था कि उत्तर प्रदेश की संवेदनशील सरकार सबका संबल बन रही है। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान सरकार की इसी संवेदनशीलता के प्रयास हैं। यह सरकार की संवेदनशीलता का ही नतीजा है कि प्रदेश में बेटियों को डिजिटल शिक्षा से जोड़ने के लिए स्मार्टफोन, लैपटॉप और टैबलेट जैसे उपकरणों से सुशोभित किया जा रहा है। बेटियों के लिए सरकारी स्कूलों में कॉमन रूम और अलग से शौचालय की व्यवस्था की गई है।
उन्हें खेलकूद से जोड़ने के लिए महिला मंगल दल की स्थापना की गई है और उसके लिए बेटियों (Daughters) को किट भी सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जा रही है। गांव-गांव में खेल के मैदान बनाए जा रहे हैं ताकि बेटियां भी शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बन सकें। यही नहीं बोर्ड परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली बेटियों को सरकार की ओर से पांच-पांच हजार रुपए की राशि प्रदान की जा रही है, जबकि टॉपर्स को 20 हजार रुपए की राशि दी जा रही है। बेटियों को मुफ्त शिक्षा देने के साथ ही योगी सरकार मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के अंतर्गत बालिका के जन्म से स्नातक स्तर की शिक्षा तक 15 हजार रुपए का पैकेज भी दे रही है। यही नहीं, बालिका के विवाह योग्य होने पर मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत 51 हजार रुपए भी प्रदान किए जाते हैं।
‘आरोहिणी इनीशिएटिव’ से सक्षम हो रहीं वंचित वर्ग की बेटियां (Daughters)
सीएम योगी के निर्देश पर वंचित वर्ग की बेटियों को सक्षम व आत्मनिर्भर बनाने के लिए समग्र शिक्षा अभियान, एक एनजीओ के साथ मिलकर प्रदेश के सभी 746 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में आरोहिणी इनीशिएटिव ट्रेनिंग कार्यक्रम शुरू कर रहा है। इसके माध्यम से वंचित वर्ग की बेटियों को उनके जीवन में होने वाली घटनाओं की समझ पैदा करने के साथ ही अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए सक्षम बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
बेटियों (Daughters) को सक्षम बनाने के लिए टीचर्स को ट्रेनिंग उपलब्ध कराई जा रही है। टीचर्स के साथ-साथ बेटियों को डिबेट एवं अन्य गतिविधियों के माध्यम से ग्रूम किया जाएगा, ताकि वह अपनी समस्याओं के लिए दूसरों पर डिपेंड न हों बल्कि खुद उसका समाधान तलाश सकें। इस कार्यक्रम का उद्देश्य यही है बेटियों को उनके जीवन में होने वाले बदलाव के लिए तैयार किया जा सके और चुनौतियों से निपटने में सक्षम व सशक्त किया जा सके।
सेल्फ डिफेंस में भी निपुण हो रहीं प्रदेश की बेटियां (Daughters)
यूपी के उच्च प्राथमिक विद्यालयों और कम्पोजिट विद्यालयों में बालिकाओं को रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा प्रशिक्षण योजना के तहत ट्रेनिंग दी जा रही है। आत्मरक्षा का मुख्य उद्देश्य यह है कि बालिकाओं को प्रशिक्षण के माध्यम से शारीरिक व मानसिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जा सके ताकि वह किसी भी विषम परिस्थितियों से बिना विचलित हुए उसका सामना कर सकें। सेल्फ डिफेंस के लिए आक्रमण सबसे उपयुक्त हथियार है के मूल मंत्र को ध्यान में रखते हुए बालिकाओं के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण की कार्ययोजना तैयार की गई है।
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स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा अनुदेशक एवं केजीबीवी के खेल शिक्षक व शिक्षिकाएं विद्यालय में शारीरिक शिक्षा, खेलकूद, कला संगीत के लिए निर्धारित कालांश के दौरान विद्यालय में अध्ययनरत समस्त बालिकाओं को प्रशिक्षण प्रदान कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि समग्र शिक्षा के अन्तर्गत उच्च प्राथमिक विद्यालयों, कम्पोजिट विद्यालयों में वर्तमान में कुल 10158 स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा के अनुदेशक तथा 746 केजीबीवी में कुल 10904 अनुदेशक एवं शिक्षक व शिक्षिकाएं कार्यरत है।
व्यावसायिक प्रशिक्षण से बेटियों (Daughters) को जोड़ा जा रहा
यही नहीं, उत्तर प्रदेश की बेटियों को शिक्षा के साथ-साथ कौशल विकास से भी जोड़ा जा रहा है। इसके अंतर्गत बेटियों को स्कूल में ही व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। फिलहाल इसकी शुरुआत प्रदेश के उच्चीकृत कस्तूरबा बालिका विद्यालयों से की गई है। इस योजना के अंतर्गत कुल 54 कस्तूरबा बालिका विद्यालयों को नोटिफाई किया गया है, जहां व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें ट्रेनिंग पार्टनर संस्थाएं सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। बेटियों की प्री काउन्सलिंग के बाद उनकी रूचि के अनुसार ही उन्हें ट्रेड आवंटित किए जा रहे हैं। विद्यालयों में शत-प्रतिशत नामांकन का लक्ष्य रखा गया है। कौशल विकास मिशन भी लड़कियों को व्यावसायिक शिक्षा देने के लिए कई तरह के प्रोग्राम पूरे प्रदेश में चला रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ महिला संवासिनी गृह में भी महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिए जाने की शुरुआत की गई है।