देहरादून। सत्ता का गुरुर कुछ भी करा सकता है। विस विवेकाधीन कोष के मनमाने बंटवारे को लेकर हाईकोर्ट में मुकदमा झेल रहे वित्त मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल (Prem Chand Aggarwal) बहुत आगे बढ़ गए हैं। वित्त विभाग की एक बैठक में उन्होंने अपनी बेटी और बहुत जूनियर अफसर को एचओडी को बगल में ही बैठा दिया। और यह भी कहा कि कमिश्नर आपको पता नहीं वो कौन है। जल्द ही उसके लिए एसी कार और दफ्तर की व्यवस्था करो।
पांच साल तक स्पीकर रहे प्रेम चंद (Prem Chand Aggarwal) ने पता नहीं क्या-क्या न किया। उनके खिलाफ हाईकोर्ट में दो मुकदमें हैं जिनमें कहा गया है कि उन्होंने विवेकाधीन कोष का दुरुपयोग किया। इससे पहले भी विस में कथित नियुक्तियों को लेकर भी वो चर्चा में रहे हैं। एक बहुत जूनियर अफसर को पहले तो विस का कार्यवाहक सचिव बनाया और चलते-चलते उसे कंफर्म भी कर दिया। ऐसा क्यों किया गया होगा, इसे आसानी से समझा जा सकता है।
हाईकोर्ट ने कैबिनेट मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल को दिया नोटिस
ताजा मामला बहुत ही रोचक है। बतौर वित्त मंत्री Prem Chand Aggarwal उन्होंने एक विभागीय बैठक की। इस बैठक में उनकी बेटी निकिता नारंग भी प्रोटोकाल के लिहाज से सबसे पीछे बैठी थी। निकिता राज्य कर अधिकारी हैं। इसे देख मंत्री जी तो भड़क गए। बोले, कमिश्नर आपको नहीं पता कि वो अफसर कौन है। मेरी बेटी है वो। तत्काल ही कमिश्नर के पास की एक कुर्सी लगवाई गई और एक सबसे जूनियर अफसर अपने बॉस के पास बैठी।
मंत्री जी को इससे भी चैन न आया। तत्काल कहा गया कि कमिश्नर बेटी के लिए एक एसी कार और एसी दफ्तर का इंतजाम किया जाए। सूत्रों का कहना है कि अब पूरा विभाग मंत्री की बेटी (सबसे जूनियर अफसर) की खिदमत में जुटा है। यहां सवाल यह भी है कि इकबाल अहमद जैसा बेहद ईमानदार और बेलाग अफसर क्या मंत्री की इस मनमानी को मानेगा।
अब सवाल यह भी है कि मोदी जी के नाम पर चुनाव जीतने वाले लोग क्या भाजपा सरकार को इसी तरह से बदनाम करेंगे और अफसर भी इस तरह के गैर जिम्मेदाराना आदेश मानते रहेंगे। इस मामले में वित्त मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल से बात करने की कोशिश की गई। पर उनका उनका फोन पिक नहीं हुआ।